शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को हटाने की मांग करते हुए कहा है कि राज्यपालों की नियुक्ति आम तौर पर उस पार्टी की विचारधारा के व्यक्तियों के लिए की जाती है जो केंद्र में सत्ता में थी। मुझे लगता है कि इस संबंध में भी कुछ मानदंड निर्धारित करने का समय आ गया है। कोश्यारी का नाम लिए बगैर उद्धव ने कहा कि किसी को गलतफहमी न हो लेकिन जिन्हें वृद्धाश्रम में भी स्वीकार नहीं किया जाएगा उन्हें राज्यपाल नियुक्त किया जाता है।
पूर्व CM ने कहा कि हमें ठीक-ठीक पता लगाना है कि इस सड़ी हुई बुद्धि के पीछे कौन-सा मस्तिष्क है। मैं राज्यपाल के पद का सम्मान करता हूं, लेकिन कोश्यारी का नहीं। इससे पहले सावित्रीबाई, महात्मा फुले को लेकर उन्होंने विनाशकारी बयान दिया था। उसके बाद, मुंबई के मामले आपत्तिजनक बातें बोले। और अब हमारे देवता छत्रपति शिवाजी महाराज को कोश्यारी द्वारा अपमानित किया गया है। मुख्यमंत्री असहाय होने के कारण दिल्लीवासियों की दया के कारण राज्यपाल के खिलाफ बोलने का साहस नहीं रखते हैं। उपमुख्यमंत्री केवल सारांश देते हैं। मेरी महाराष्ट्र प्रेमियों से अपील है कि एक साथ आएं और इसके खिलाफ आवाज उठाएं! केंद्र के लिए जागने और फिर से दिखाने का समय आ गया है कि महाराष्ट्र कमजोर नहीं है। आइए शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करें।
सावरकर के मामले में विस्तार से अपनी भूमिका रखी है। लेकिन यह विषय हमारे देवता से संबंधित है। शरद पवार, उदयन राजे, संभाजी राज ने भी अपना पक्ष रखा है। मैं भाजपा में महाराष्ट्र प्रेमियों से भी इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील करता हूं। इस पार्सल को वापस किया जाना चाहिए नहीं तो गम आपको दिखाएंगे कि इसे वापस कैसे भेजा जाए।
उन्होंने सवाल किया कि कल की कैबिनेट बैठक क्यों रद्द की गई? असाधारण परिस्थितियों में ही कैबिनेट की बैठक रद्द की जाती है। मैंने पढ़ा कि कैबिनेट मंत्री गुजरात के चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। गुजरात राज्य में चुनाव के लिए महाराष्ट्र में अवकाश एक नया तरीका है। पाकिस्तान में कल चुनाव होने पर संभवत: वे छुट्टी की घोषणा करेंगे।कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने महाराष्ट्र के गांवों पर अधिकार जताना शुरू कर दिया है। क्या यही है दिल्लीश्वर की भूमिका?
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