ठाकरे सरकार ने दादर के इंदु मिल परिसर में भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के स्मारक के संबंध में तारीख पर तारीख घोषित कर बाबा साहब की स्मृति को जीवित रखने की परियोजना का काम अटका कर रखा था। वोटों की राजनीति के लिए ठाकरे सरकार बाबा साहब का उपयोग कर रही है, भाजपा की प्रदेश सचिव दिव्या ढोले और भाजपा मुंबई अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष शरद कांबले ने सोमवार को पत्रकार परिषद में यह आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर की ग्रंथसंपदा की छपाई भी ठाकरे सरकार की लापरवाही के कारण रुकी हुई है और इस संबंध में बांबे हाईकोर्ट द्वारा कान खिंचाई करने के बावजूद सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा। श्री कांबले ने कहा कि, 2004 में कांग्रेस के घोषणा पत्र में आंबेडकर स्मारक का आश्वासन दिया गया था। कांग्रेस द्वारा रखड़ाये गए इस स्मारक के लिए मोदी सरकार ने पहल करते हुए दादर के इंदु मिल की 2300 करोड़ रुपये की जमीन का एक भी पैसा न लेते हुए महाराष्ट्र सरकार की ओर हस्तांतरण किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 2015 में स्मारक स्थल का भूमिपूजन हुआ। फडणवीस सरकार ने स्मारक के काम को गति दी। आघाडी सरकार के समय में काम को ठंडा करके काम मे देरी का कारण देते हुए खर्च के आंकड़े को बढ़ाने का काम शुरू है। 2014 में 450 करोड़ रुपये खर्च की यह परियोजना ठाकरे सरकार की ढिलाई के कारण एक हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च पर जानेवाली है।
कांग्रेस द्वारा ढिलाई करने से आखिर में नीलामी की अवस्था में गया लंदन स्थित बाबासाहब के निवासस्थान को फडणवीस सरकार की पहल से महाराष्ट्र सरकार ने लिया, इसकी याद भी श्री कांबले ने दिलाई। जापान में भी विश्वविद्यालय में बाबासाहब के खड़े स्मारक का अनावरण देवेंद्र फडणवीस के हाथों हुआ।विश्व भर में अनेक देश बाबासाहब के कार्यों का गौरव करते हैं लेकिन ठाकरे सरकार राष्ट्रीय स्मारक को पूरा करने के लिए समय बढ़ा रही है, ऐसा आरोप उन्होंने लगाया।
डॉ. आंबेडकर के ग्रंथसंपदा की छपाई का काम भी धीमी गति से चल रहा है। विश्व का सर्वोत्तम संविधान देश को देनेवाले महामानव के विचारों की यह उपेक्षा है, ऐसा आरोप दिव्या ढोले ने लगाया। बाबासाहब के भाषणों की प्रचंड मांग होने पर भी, उनके प्रकाशन में ढिलाई करने का अर्थ है बाबासाहब के विचारों को समाज तक पहुंचाने में रुकावट लाना, ऐसा उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा हाल ही में दखल देने के बाद अब तो लापरवाही को एक ओर रखें और विश्व द्वारा स्वीकार किए गए इन महामानव के प्रेरणादायी विचारों को न्याय दें, ऐसी मांग भी दिव्या ढोले ने की।