आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अक्टूबर 2023 में ईडी ने गिरफ्तार किया था। यह मामला दिल्ली में वापस ली गई एक्साइज पॉलिसी से जुड़ा था| ईडी ने संजय सिंह की जमानत का विरोध नहीं किया, इसलिए कोर्ट ने सिंह की जमानत मंजूर कर ली|संजय सिंह के अलावा आप के तीन नेता तिहाड़ जेल में हैं| पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं। आप नेता आतिशी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘आप’ के चार और नेताओं को ईडी गिरफ्तार करेगी|
4 अक्टूबर को संजय सिंह को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था|10 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया| संजय सिंह ने दिल्ली में नई आबकारी नीति लागू करने में अहम भूमिका निभाई| उन पर कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि पीएमएलए एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत जांच लंबित रहने तक संजय सिंह को जमानत देने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए| जमानत की शर्तें क्या होनी चाहिए? इस सत्र का फैसला कोर्ट में होगा| आज सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच जिसमें मा. दीपांकर दत्ता और पी.बी. वराले भी शामिल थे| कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि जमानत मिलने के बाद संजय सिंह राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं|
संजय सिंह को 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था| उन पर दिल्ली के लिए वर्ष 2021-22 के लिए ‘दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति’ के निर्माण और कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। नीति नवंबर 2021 में लागू की गई थी, लेकिन फिर जुलाई 2022 में इसे रद्द कर दिया गया|
दिल्ली एक्साइज पॉलिसी घोटाले में क्या हैं आरोप?: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जुलाई 2022 में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी|रिपोर्ट में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब लाइसेंस जारी करते समय कमीशन के रूप में पैसे लेने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, आबकारी मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया ने अपने अधिकार क्षेत्र में मनमाने और एकतरफा फैसले लिए| इससे सरकारी खजाने को 580 करोड़ से ज्यादा का राजस्व घाटा हुआ|
आप की दिल्ली सरकार और उसकी पार्टी के नेताओं को शराब व्यवसाय के मालिकों और दुकानदारों से ‘रिश्वत’ और ‘कमीशन’ के बदले में पैसा मिला। इस कमीशन के बदले शराब लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया। इस रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि कोरोना महामारी के दौरान शराब बेचने वाले दुकानदारों का जुर्माना माफ कर उन्हें राहत दी गई| इस हेराफेरी से प्राप्त आय, यह भी आरोप लगाया गया कि इसका इस्तेमाल गोवा और पंजाब राज्यों में 2022 के चुनावों में किया गया था।
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