सरकार ने सोमवार (9 दिसंबर)को संसद में बताया कि 2014 से अब तक प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के 6,444 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से जिन 56 मामलों का फैसला अदालतों ने मेरिट के आधार पर किया, उनमें 53 में सज़ा सुनाई गई, यानी लगभग 95% का दोषसिद्धि दर। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि ये फैसले अप्रैल 2014 से नवंबर 2025 के बीच PMLA की विशेष अदालतों द्वारा सुनाए गए। कुल 56 मामलों में से 53 में 121 व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया।
सरकार के अनुसार, ED द्वारा दर्ज किए जाने वाले मामलों में पिछले दशक में बड़ी बढ़ोतरी हुई है, 2014–15 में सिर्फ 181 ECIR दर्ज हुए। 2021–22 में यह संख्या बढ़कर 1,116 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई। आयकर विभाग (ITD) ने भी इस अवधि में 13,877 प्रॉसिक्यूशन केस दायर किए। आईटीडी द्वारा सबसे अधिक मामले 2017–18 में 4,527 दायर हुए, जबकि 2014–15 में संख्या 669 थी।
ED की गतिविधियों में बढ़ोतरी तलाशी अभियानों में भी दिखी, 2014–15 में सिर्फ 46 तलाशी अभियान चलाए गए थे, जो 2023–24 में बढ़कर 2,600 तलाशी अभियान और इस साल नवंबर 2025 तक 2,267 तलाशी अभियान चलाए। पिछले दशक में ED ने कुल 11,106 तलाशी अभियान चलाए। IT डिपार्टमेंट ने इसी दौरान 9,657 समूह तलाशी अभियान किए, जिनमें 2024–25 में सबसे ज्यादा 1,437 सर्च शामिल हैं।
ED ने 2014 से अब तक 2,416 प्रॉसिक्यूशन कम्प्लेंट (अतिरिक्त सहित) दाखिल कीं, जो 16,404 व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ हैं। सरकार ने कहा कि इससे एजेंसी की न्यायिक कार्रवाई की सक्रियता स्पष्ट होती है।
जहां ED ने मेरिट-आधारित 56 मामलों में 95% दोषसिद्धि हासिल की, वहीं ITD के आंकड़े इस प्रकार रहे, 522 सज़ा, 963 बरी, 3,345 केस वापस लिए गए। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि सज़ा/बरी/वापसी के आंकड़े विभिन्न सालों में दायर अलग-अलग मामलों से संबंधित हैं, इसलिए इन्हें वार्षिक फाइलिंग से सीधे नहीं जोड़ा जा सकता।
डेटा से स्पष्ट है कि पिछले एक दशक में ED और ITD दोनों ने मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अपराधों पर कड़ा शिकंजा कसने पर ज़ोर दिया है, तलाशी अभियानों से लेकर केस दर्ज करने और अदालती कार्रवाई तक सभी मोर्चों पर उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है।
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