21000 करोड़ ​से अधिक ​खर्च​, फिर भी मुंबई ​​की ​सड़कें गड्ढे​ मुक्त नहीं ​?

विधायक साटम ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर मांग की है कि बीएमसी को प्रत्येक सड़क के लिए छोटे टेंडर जारी करने के बजाय पश्चिमी उपनगरों, पूर्वी उपनगरों और शहरों में से प्रत्येक के लिए केवल 3 निविदाएं जारी करने का निर्देश दिया जाए।

मुंबई में लंबे समय से लंबित सड़कों और गड्ढों का मुद्दा सरकार की योजना, दूरदर्शिता और सोच की कमी के कारण हल नहीं हुआ है। ​​भाजपा​ ​विधायक अमित साटम ने आरोप लगाया है कि पिछले 24 सालों में मुंबई में सड़कों के निर्माण पर 21000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने के बावजूद मुंबई में सड़कों की हालत बेहद खराब है|

विधायक साटम ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर मांग की है कि बीएमसी को प्रत्येक सड़क के लिए छोटे टेंडर जारी करने के बजाय पश्चिमी उपनगरों, पूर्वी उपनगरों और शहरों में से प्रत्येक के लिए केवल 3 निविदाएं जारी करने का निर्देश दिया जाए।

इन निविदाओं में शर्तें ऐसी होनी चाहिए कि केवल भारत सरकार और ​​नेशनल हाइवे अथॉरिटी​ ऑफ इण्डिया​ के साथ काम करने वाली प्रमुख बुनियादी ढांचा कंपनियां ही निविदा में भाग ले सकें। पत्र में साटम ने यह भी कहा है कि सड़क के टेंडर में ही यूटिलिटी कॉरिडोर बनाने का प्रावधान होना चाहिए​|​ ताकि पानी, गैस, बिजली, इंटरनेट आदि विभिन्न उपयोगिताओं को स्थापित करने के लिए गड्ढे की खुदाई और ​सड़कों की ​खुदाई बार-बार न हो|​ ​

​शहर में असंगठित फेरीवालों की समस्या जटिल हो गई है और इसे नियंत्रित करने की जरूरत है। ज़ैनल टाउन वेंडिंग कमेटी ने हैकिंग ज़ैन की पहचान की है और 1.28 लाख हैकर्स को हैकिंग पिचों के आवंटन के लिए योग्य बनाया है। पिछली सरकार ने 2019 के नए सर्वेक्षण तक इस प्रक्रिया को लापरवाही से स्थगित कर दिया था। योग्य हॉकरों को निर्दिष्ट हॉकिंग क्षेत्रों में हॉकिंग पिच प्रदान करें और हमारी शेष सड़कों और फुटपाथों को साफ करें। साटम ने यह भी कहा कि नया सर्वे एक साथ किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें-

धन शोधन अधिनियम के प्रावधानों को SC की राहत, ईडी के खिलाफ सुनवाई​

Exit mobile version