नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार केंद्र की सत्ता में है। यह भाजपा के लिए महासंयोग की बात है कि 30 मई को केंद्र की सरकार को सात साल हो जाएंगे। मोदी -2 सरकार को दो साल पूरे होंगे। पहली बार 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी। जबकि दूसरी बार 30 मई 2019 को शपथ ली थी। लोगों के मन में यह सवाल उठता रहा है कि आखिरकार पीएम मोदी ने बनारस से ही चुनाव क्यों लड़ा ,यह सवाल आम आदमी के मन में ही नहीं उठा बल्कि यह सवाल हर एक बुद्धिजीवी के मन उठा और इसका जवाब जानने की भरकस कोशिश की। जब 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह ऐलान किया कि भाजपा के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बनारस से चुनाव लड़ेंगे तो कई लोगों को आश्चर्य हुआ। भाजपा ने यह फैसला अचानक नहीं लिया था, बल्कि इस पर कई महीनों की मेहनत थी, इस पर मंथन किया गया।
यहां सवाल का जवाब नहीं है कि क्यों पीएम मोदी ने बनारस को ही चुना। वैसे भी भाजपा ने 2014 के बाद से किसी का नाम, समय और स्थान का चयन करना होता है तो चौंकाने वाले समय, नाम और स्थान चुने हैं। इसके पीछे के क्या राज हो सकते हैं यह एक शोध का विषय हो सकता है। सही मायने में कहा जाय तो बनारस देश का ही नहीं विश्व का राजनीतिक केंद्र है। मोदी को बनारस का उम्मीदवार घोषित करने से पहले यह साफ हो चुका था कि हिन्दुओं के दिल में शिव के साथ मोदी को भी धड़कना चाहिए। 2014 में नरेंद्र मोदी हिन्दू नेताओं में सबसे लोकप्रिय नेता थे। वह एक मात्र ऐसे नेता थे जो अपनी भाषण शैली से करोड़ो हिन्दुओं के दिल में अपनी जगह बना चुके थे। भाजपा और उस समय राजनीतिक विश्लेषण कर रही टीम को अच्छी तरह पता था कि बनारस ही वह जगह जहां से मोदी सभी के दिलों में राज कर सकते है।
बनारस चुनने से पहले हिन्दू जनमानस की भावनाओं को टटोला जा चुका था। बनारस नगरी भारतवासियों के लिए आस्था का केंद्र है। इसी आस्था को को केंद्र में रखकर यह निर्णय लिया गया कि बनारस से नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार बनाया जाये। वह समय ऐसा था कि हर हिन्दू अपने आपको ठगा महसूस कर रहा था। कांग्रेस ने एक ऐसा नरेटिव बनाया था कि हिन्दू अपनी पहचान को तरस रहा था। हर हिन्दू के दिमाग में एक ऐसे नेता की छवि बनी थी जो उनकी उम्मीदों को पंख लगा सके। उसे एक सही मार्ग दिखा सके। नीरसता भरे जीवन को उबार सके। उस समय हिन्दू जनमानस के मन में मोदी ‘देवता रूपी’ थे। उन्होंने अपनी बातों और योजनाओं से हर भारतवासी के मार्गदर्शक थे। इसलिए भारतवासियों ने नरेंद्र मोदी को अगाध प्रेम दिया और बनारस के ‘गंगा पुत्र ‘ को अपनाया।
पौराणिक महत्व और उपनाम
बनारस को मोक्ष की नगरी, दीपों की नगरी, मंदिरों का शहर, ज्ञान की नगरी, शिव की नगरी, धार्मिक राजधानी आदि नामों से भी जाना जाता है। बनारस बौद्ध और जैन धर्म में भी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बनारस संसार का सबसे बसे शहरों में से एक है। इतना ही नहीं इस पौराणिक नगरी का उल्लेख कई इतिहासकारों ने अपने ग्रंथों में किया है।अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने लिखा है “बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेंड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।”
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिन्दू भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी, जिस कारण ये आज एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ये हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। बनारस का उल्लेख स्कंद पुराण, रामायण, महाभारत एवं प्राचीनतम वेद ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में भी किया गया है। सामान्यतः वाराणसी शहर को लगभग 3000 वर्ष प्राचीन माना जाता है। परन्तु हिन्दू परम्पराओं के अनुसार काशी को इससे भी अत्यंत प्राचीन माना जाता है। गौतम बुद्ध (जन्म 567 ईपू) के काल में, वाराणसी काशी राज्य की राजधानी हुआ करता था। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने नगर को धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केंद्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे 5 किमी तक लिखा है।
राजनीति की कसौटी
कोई भी राज्य या शहर राजनीति की कसौटी पर खरा उतरता है तभी वहां राजनीतिक दल जोर आजमाइस करते हैं। क्या बनारस नरेंद्र मोदी के राजनीतिक समीकरण को पूरा कर रहा था, जवाब है हां, नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे और वे तीसरा विधानसभा का चुनाव भी जीते थे, अगर उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के किसी भी कोने से लोकसभा का चुनाव लड़ते तो जीत जाते, जीते भी गए, वोड़दरा से, 2014 में जब नरेंद्र मोदी लोकसभा का चुनाव लड़ा तो दो जगह से पर्चा भरा एक बनारस से दूसरा वोड़दरा से,यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार मधुसूदन मिस्त्री को 5,70,128 मतों से हरा था।जबकि बनारस में आप नेता अरविंद केजरीवाल को हराया, यहां पर नरेंद्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले थे। उन्होंने केजरीवाल को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। बनारस संसार के सबसे प्राचीन शहरों में गिना जाता है उसका महत्व देश में ही नहीं विदेशों में भी है। बनारस वह जगह है जहां देश-विदेश के लोग आते हैं। इस शहर का महत्व इसलिए भी है कि इसके आसपास के राज्य बंगाल,बिहार, उत्तराखंड और झारखंड बनारस की गरिमा को अनदेखा नहीं कर सकते। इन राज्यों में यहां के लोगों के रहन -सहन, खान-पान, पूजा-पाठ समान हैं। बनारस राजनीति का केंद्र है। 2014 में नरेंद्र मोदी ने एक साथ कई निशाने साधे थे।