विधायक सांसदों को लाखों की पेंशन दी जाती है तो हमारी पेंशन हजारों में है। ऐसे में पुरानी पेंशन योजना लागू करने में क्या दिक्कत है? यह सवाल आंदोलनकारी कर रहे हैं। प्रहार नेता और पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने सार्वजनिक रुख अपनाया है कि उन्हें सरकार की पेंशन नहीं चाहिए, मैं आज सरकार को पत्र भेजूंगा। 80 फीसदी विधायकों, सांसदों को पेंशन की जरूरत नहीं है| बच्चू कडू ने कहा है कि सरकार को समान न्याय की नीति लानी चाहिए|
राज्य सरकार के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है| कर्मचारियों की इस मांग पर अन्य संस्थाओं की ओर से तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। आम प्रतिक्रिया है कि पेंशन की जरूरत ही नहीं है क्योंकि कर्मचारियों को काफी वेतन मिल रहा है और विधायक-खासदार को मिलने वाली पेंशन का मुद्दा भी उठाया जा रहा है|इसी के अनुरूप बच्चू कडू की प्रतिक्रिया सामने आयी है|
कुछ लोग सवाल करते हैं कि विधायक, सांसद को पेंशन है तो हमें क्यों नहीं? फिर मेरा उल्टा सवाल है कि अगर सभी विधायक और सांसद पेंशन लेने से मना कर दें और न लें तो सरकारी कर्मचारी भी पेंशन लेने से मना कर देंगे| बच्चू कडू ने यह भी मांग की कि सभी विधायक और सांसद यह फैसला लें। असमानता की सीमा आ गई है। यह काम और वेतन में भी परिलक्षित होता है।
जब कर्मचारी और अधिकारी हमारे प्रतिनिधियों का वेतन लेते हैं, तो हमें प्रति माह छह किलो मटन, बारह दर्जन अंडे और चार लीटर दूध का भुगतान किया जाता है। तो क्या इस देश में किसान, मजदूर और मजदूर काम नहीं कर रहे हैं? क्या उसे स्वस्थ आहार की आवश्यकता नहीं है?
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