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Thursday, September 19, 2024
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आदित्य ठाकरे का तंज, ‘मैं अलीबाबा को संविधान से बाहर का मुख्यमंत्री कहूंगा क्योंकि..​!’

महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति तो आपने देखी ही होगी​|​ आदित्य ठाकरे ने कहा है कि राजनीति कीचड़मय हो गई है| आदित्य ठाकरे ने यह बयान तब दिया है, जब येवला में ठाकरे गुट की बैठक हुई थी| इतना ही नहीं, आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अलीबाबा कहा है।

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जब महाराष्ट्र में कहीं कोई असंवैधानिक मुख्यमंत्री आता है तो आप क्या देखते हैं? कुर्सियों की भीड़ नहीं है| मैं 2019 में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उन्हीं तारीखों पर नासिक में था। महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति तो आपने देखी ही होगी|आदित्य ठाकरे ने कहा है कि राजनीति कीचड़मय हो गई है| आदित्य ठाकरे ने यह बयान तब दिया है, जब येवला में ठाकरे गुट की बैठक हुई थी| इतना ही नहीं, आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अलीबाबा कहा है।

क्या बोले आदित्य ठाकरे?:  40 गद्दारों के बाद भी मुझे पता था कि जनता हमें नहीं छोड़ेगी| मुझे यकीन है कि जनता उद्धव ठाकरे के साथ है| हम इस महाराष्ट्र को अच्छे दिन दिखाना चाहते हैं। महाराष्ट्र में राजनीति अब साफ-सुथरी बनाम स्वार्थी और गंदी हो गई है। जो लोग मेरे साथ हैं उनके साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हूं।” ये बात आदित्य ठाकरे भी कह चुके हैं|

महाराष्ट्र को लूटने वाले मुख्यमंत्री को अलीबाबा कहूंगा: जो मुख्यमंत्री असंवैधानिक हैं, गद्दार हैं वो अलीबाबा हैं|हाँ, मैं उन्हें अलीबाबा कह रहा हूँ क्योंकि वे महाराष्ट्र को लूट रहे हैं। जहां वे हर दो दिन में दिल्ली जाते हैं|क्या आपको बुलाया गया है कि आज क्या बदल रहा है? ऐसा ही भड़काऊ सवाल पूछा है आदित्य ठाकरे ने| अगर संविधानेतर मुख्यमंत्री हर हफ्ते दो बार दिल्ली जाएंगे तो महाराष्ट्र की सड़कों पर कौन घूमेगा? ठाणे, मुंबई, नासिक की स्थिति देखिए| कोई खुश नहीं है, क्या एक साल में एक भी उद्योग या रोजगार का अवसर आया? मैं आया हूं, आप बताइए कितने रोजगार के अवसर आए, कितने उद्योग के अवसर आए?

एक साल में हमने देखा है कि आवाज ग्रामीण इलाकों से आ रही है या शहरी इलाकों से, लेकिन हमारी सरकार कहां है? आदित्य ठाकरे ने भी कहा है कि हमें मिलकर सरकार के खिलाफ लड़ना होगा|महाराष्ट्र में राजनीति का क्या हाल है? जो महाविकास अघाड़ी में महाराष्ट्र को आगे ले जा रहे थे, वो हैं उद्धव ठाकरे|आज उन्होंने महाराष्ट्र को कहां पहुंचा दिया है?’ ऐसा ही एक प्रश्न उठता है| राजनीतिक दलों को हिंदी में क्या कहते हैं? राजनेता.. ठीक है? क्या यह अब दलदल है? ये बात समझ में नहीं आती| कीचड़, दलदल ही राजनीति का वर्तमान स्वरूप बन गया है।

होर्डिंग देखकर कौन लगा रहा है किसकी फोटो? हमें देखना होगा कि ये किसका नाम है और किसका आशीर्वाद है| लोगों के मन में भी यही भ्रम है कि जिन्हें हमने चुना, हमने वोट दिया, वे अब सरकार में कैसे बैठ सकते हैं? अब हम लोकतंत्र हॉल में बात कर रहे हैं कि क्या देश में लोकतंत्र है? ये सवाल भी आदित्य ठाकरे ने पूछा है|
वर्तमान माहौल वैसा नहीं है|हम नादान हैं| राजनीति में मेरी और उद्धव ठाकरे की नहीं बनेगी| हम राजनेताओं की तरह काम नहीं करते|हम भी आपके जैसे ही सरल हैं|हमें राजनीति पसंद नहीं है|क्या यह हमारी गलती है कि हम जनता की आवाज सुनते रहे और उथल-पुथल पर ध्यान ही नहीं दिया? ऐसा सवाल आदित्य ठाकरे ने भी पूछा है| फिलहाल महाराष्ट्र को बांटकर दिल्ली को झुकाने की राजनीति चल रही है|
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