दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की पिछले 12 सालों में पहली हार के बाद महाराष्ट्र चुनाव में करारी हार से जख्मी आदित्य ठाकरे और संजय राउत ने केजरीवाल से मुलाकात की। मुलाकात के बाद आदित्य ठाकरे ने प्रेस से वार्ता करते हुए चुनाव आयोग और भाजपा में मिलीभगत के आरोपों की झड़ी लगाई है। हालांकि आदित्य ठाकरे ने लगाए आरोप इससे पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी भी लगा चुके है, जिस पर चुनाव आयोग समय समय पर स्पष्टीकरण भी दे चूका है।
आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात पर आदित्य ठाकरे ने कहा, “आज अरविंद केजरीवाल साहब से मुलाकात हुई और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे के जो मन में है, जो दिल में है वो साफ़ बात है की सरकारें आती जाती रहती है, फिर आएगी लेकीन, रिश्ता तो ऐसे ही चलता रहेगा और यही कहने हम आए थे। उन्होंने (अरविंद केजरीवाल) जो पिछले दस साल में दिल्ली में जो काम किया है वो सारी जनता जानती है।”
इसी बीच दिल्ली विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा, “यह जो चुनाव हुआ उसमें चुनाव आयोग का बड़ा हाथ था, आशीर्वाद था और भाजपा ने चुनाव आयोग के आभार मानना भी जरुरी है लेकीन, यही जैसे मेरी का राहुल जी से बात हुई, आज अरविंद जी से बात हुई, इंडिया गठबंधन हो या फिर हम सारी पार्टियां हो, कहीं न कहीं हमें यह सोचना होगा की अगला स्टेप क्या हो क्योंकि हमारी डेमोक्रेसी फ्री एंड फेयर नहीं रही है, इलेक्शन फ्री एंड फेयर नहीं रहे है।”
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साथ ही शिवसेना उबाठा के नेता ने वोटों की कटाई और बढ़ती मतदाता पंजीकरण पर भी सवाल उठाया, “…काफी सारी जगह में जो वोट्स काटे गए थे, जो वोट्स डिलीट हुए थे। उसपर भी कभी न कभी विचार करना जरुरी है क्योंकि वो वोटिंग का अधिकार लोगों से छिना गया है वो चुनाव आयोग ने छिना है तो उस पर भी विचार विमर्श होना जरुरी है।” “…महाराष्ट्र में 47 लाख वोटर कहां से बढे? 76 लाख वोट्स आखरी समय के बाद किसने वोटींग किया है? इसकी कोई वीडिओ फुटेज है क्या, टोकन्स है क्या? चुनाव आयोग इस पर बात करने बिल्कुल तैयार नहीं है।…हमारे देश में फ्री एंड फेयर इलेक्शन होते नहीं है।”
बता दें की, उबाठा नेता आदित्य ठाकरे द्वारा लगाए आरोप इससे पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और संजय राउत ने एक प्रेस कन्फेरेंस के तहत लगाए थे, जिस पर चुनाव आयोग पहले ही बात कर चूका है। चुनाव आयोग के अनुसार 2019 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2024 के लोकसभा चुनावों तक 1.22 करोड़ मतदाताओं ने पंजीकरण किया था। जबकि लोकसभा चुनाव 2024 से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के पांच महीनों के कार्यकाल के दौरान 48.1 लाख लोगों ने मतदाता पंजीकरण किया, जो की सामान्य बात होने के साथ ही प्रशंसनीय भी है।