ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 अगस्त की स्पीच में कही सेक्युलर सिविल कोड अर्थात UCC की बात पर आपत्ति जताई है। AIMPLB ने कहा है की मुस्लिम समाज के पारिवारिक कानून शरिया पर आधारित है और मुस्लिम समाज इसके अलावा जरा भी विचलित नहीं होगा।
AIMPLB ने प्रधानमंत्री की स्पीच पर साजिश कहा है, साथ ही इसके गंभीर परिणाम हो सकते है ऐसे चुनौती भी दी है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. इलियास ने कहा है, प्रधानमंत्री द्वारा धर्म के आधार पर बने व्यक्तिगत कानूनों को बने कानूनों को सांप्रदायिक कानून को बताने के साथ सेकुलर सिविल कोड को लागु करने की बात आश्चर्यकारक है। यह एक सोची समझी साजिश है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते है।
AIMPLB का तर्क है की, देश के विधिमंडल द्वारा स्वयं शरिया अधिनियम १९३७ को मंजूरी दी है, साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सभी को धर्म को मानने, उसका पालन एवं प्रचार करने का अधिकार दिया है। साथ ही अपनी विज्ञप्ति में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तर्क दिया है की, संविधान के भाग चार के निति निर्देशक सिद्धांतो में दी गई समान नगरी संहिता मात्र एक निर्देश है, जिस कारण इस भाग के निर्देश न तो अनिवार्य है, न ही न्यायलय द्वारा इन्हें लागू किया जा सकता है। यह नीति निर्देशांक संविधान के भाग तीन में दिए मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण नहीं कर सकते।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है, हमारा भारतीय संविधान संघीय राजनीतिक संरचना के साथ विविधता और बहुलवादी समाज की परिकल्पना करता है, इस वजह से भारत में धर्म, संप्रदायों एवं संस्कृतियों को अपने धर्म का पालन करने तथा अपनी संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है।
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