मदरसे राष्ट्रिय बाल संरक्षण आयोग से बाहर है यह दावा करते हुए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) उत्तरप्रदेश में मदरसों की पहचान और ऑडिट पर चिंता व्यक्त की है। AIMPLB का कहना है की उत्तरप्रदेश में मदरसों से गैर-मुस्लिम छात्रों को मदरसे से निकलकर उन्हें सरकारी स्कूलों में भर्ती किया जा रहा है। AIMPLB का कहना है उसे मदरसों को ख़त्म करनेवाला सियासी अभियान देश के अल्पसंख्यंकों के अधिकारों के लिए चिंता विषय है।
AIMPLB का दावा है की यूपी में बल संरक्षण आयोग से राज्य सरकार को दिया आदेश सरासर गलत, गैरकानूनी और कार्यक्षेत्र से परे है। इसी के साथ मध्यप्रदेश के मदरसों में सरस्वती वंदना को भी गलत कहा है। AIMPLB ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है की, यूपी में जिला अधिकारीयों की तरफ से मदरसों पर दबाव डाला जा रहा है। गैरमुस्लिम छात्रों को मदरसों से निकालकर स्कूलों में भर्ती किया जा रहा है। मुस्लिम बच्चों को शिक्षा के अधिकार के तहत बेसिक शिक्षा लेने को कहा जा रहा है। ऐसा न करने पर मदरसों पर करवाई की धमकी दी जा रही है।
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AIMPLB का कहना है की बाल संरक्षण आयोग से बाहर आते है, इसका मतलब आयोग के राज्य सरकार को दिए आदेश ग़ैरक़ानूनी है। साथ ही में मध्यप्रदेश में मदरसों में जबरदस्ती से करवाई जा रही सरस्वती वंदना संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के खिलाफ है। इसी के सरकारी निर्देश से मदरसों में किए जा रहे बदलाव उनके निजी अधिकरों पर हमला है। इसी के साथ AIMPLB ने इन आदेशों के खिलाफ प्रदर्शन का इशारा भी दिया है।
ऐसे में सोशल मिडिया ओर लोगों ने मदरसा शिक्षा पर सवाल उठाते पूछ रहे है, की अगर मदरसें में बेसिक शिक्षा नहीं देनी चाहिए तो फिर मदरसों का उपयोग क्या है, और गैर-मुस्लिम बच्चों के शिक्षा के अधिकार से सरकारी स्कूलों में शिक्षा हासिल करने पर AIMPLB को परेशानी क्यों है ?
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