दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया गया है। अगर प्रधानमंत्री निमंत्रण स्वीकार कर लेते हैं तो सुरक्षा कारणों से विज्ञान भवन में कम लोगों की मौजूदगी में बैठक का उद्घाटन करने की योजना है|
3 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे दिया|इस पृष्ठभूमि में मांग उठी कि बैठक का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया जाना चाहिए, जबकि शरद पवार मुख्य अतिथि होंगे, बैठक के मंच पर ‘राजनीतिक संतुलन’ हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री उद्घाटनकर्ता होने चाहिए| साहित्य निगम भी यही चाहता था| आख़िरकार उनकी इस इच्छा पर गौर करते हुए बैठक के स्वागताध्यक्ष शरद पवार ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर बैठक के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया है|
प्रधानमंत्री ने निमंत्रण कैसे स्वीकार किया, इस पर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। हालांकि, अगर प्रधानमंत्री को आना है तो कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उठने वाली दिक्कतों और बैठक के मंच पर निगम के शिष्टाचार के मुताबिक बैठक व्यवस्था में किये जाने वाले बदलाव पर चर्चा होगी |इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आयोजकों ने सुझाव दिया है कि बैठक का उद्घाटन विज्ञान भवन में किया जाए और इसका सीधा प्रसारण तालकटोरा मैदान में किया जाए|
ध्यान दें कि पंडित नेहरू व्यक्तिगत रूप से बैठक में शामिल हुए थे: इससे पहले 1954 में, दिल्ली में साहित्य बैठक का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। इस बैठक को नेहरू ने भी संबोधित किया जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन केंद्रीय मंत्री काकासाहेब गाडगिल और स्वागताध्यक्ष तारकतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशी ने की थी।
स्थल परिवर्तन से विवाद की संभावना: साहित्य सम्मेलन को लेकर भले ही कितने भी विवाद हों, सम्मेलन में आने वाले साहित्य प्रेमियों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है| सम्मेलन के अन्य सत्रों के साथ-साथ भव्य उद्घाटन भी साहित्य प्रेमियों के लिए आकर्षक है| क्योंकि, उद्घाटनकर्ता और राष्ट्रपति को सीधे सुना जा सकता है| हालांकि, साहित्यिक हलकों में चर्चा है कि अगर दिल्ली में बैठक का उद्घाटन किसी दूसरे स्थान पर होगा, तो इस फैसले का साहित्य प्रेमी विरोध कर सकते हैं|
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