महाराष्ट्र में इस समय मराठा आरक्षण का मुद्दा छाया हुआ है। इस मराठा आरक्षण की लड़ाई का नेतृत्व मनोज जारांगे पाटिल कर रहे हैं| उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिलता दिख रहा है| उनकी मांग है कि मराठाओं को तत्काल आरक्षण दिया जाए और 24 दिसंबर तक कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाए| उन्होंने बार-बार यह भी कहा है कि मराठा और कुनबी एक ही हैं।
इसी तरह राज्य में छगन भुजबल के खिलाफ मनोज जरांगे पाटिल का संघर्ष भी देखने को मिल रहा है|छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण पर विरोध नहीं जताया है| वे सरकास्कट कुनबी प्रमाण पत्र देकर ओबीसी से आरक्षण देने का विरोध कर रहे हैं| इतना ही नहीं छगन भुजबल ने यह भी कहा है कि इस मामले में उन्हें धमकियां मिल रही हैं| आज इसी मुद्दे को उठाते हुए विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि छगन भुजबल मनोज जरांगे के आंदोलन को बदनाम करने के लिए यह सब कर रहे हैं|
महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री लगातार समाज में विभाजन पैदा करने वाले बयान दे रहे हैं|अगर उन्हें लगता है कि कोई धमकी दे रहा है या कोई उन्हें गोली मारने वाला है तो उन्हें इसकी ठीक से रिपोर्ट करनी चाहिए| एक कैबिनेट मंत्री हैं, उन्हें गृह मंत्री से मिलना चाहिए, थाने में रिपोर्ट करनी चाहिए, लेकिन उन्हें मराठा समुदाय के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रुख अपनाकर आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए|
आजकल के अखबारों में खबरें हैं, कहा जा रहा है कि आरक्षण को लेकर धमकियां दी जा रही हैं| ये मंत्री अपना महत्व बढ़ाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं| अगर मंत्रियों को धमकियां मिल रही हैं तो आम आदमी का क्या होगा? ऐसा सवाल अंबादास दानवे ने भी पूछा| मंत्री जी पुलिस से शिकायत क्यों नहीं करते? जिसका नाम लेते हैं उसकी ग्लानि क्यों करते हैं? अगर कैबिनेट मंत्रियों को धमकियां मिल रही हैं तो राज्य की जनता की सुरक्षा का क्या होगा?
अगर उन्हें धमकियां मिल रही हैं तो उन्हें इसकी ठीक से रिपोर्ट करनी चाहिए|’ अगर किसी कैबिनेट मंत्री को धमकी दी गई है तो इस मामले पर चर्चा होनी चाहिए| अगर ऐसा नहीं होने वाला है तो क्या ये मंत्री मराठा समुदाय के आंदोलन को बदनाम करने के लिए ये सब कर रहे हैं? अंबादास दानवे ने यह भी मांग की कि इसकी जांच होनी चाहिए|
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