एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम के दौरान अमेरिका और रूस के उच्च-श्रेणी के अधिकारियों ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के संभावित समाधानों पर चर्चा करने के लिए 18 फरवरी, 2025 को सऊदी अरब के रियाद में बैठक की। यह बैठक, तीन वर्षों में सबसे व्यापक अमेरिका-रूस वार्ता थी। खलबली तब मची जब यूक्रेन और यूरोपीय देशों के प्रतिनिधियों को इस बैठक में शामिल नहीं किया गया।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शांति वार्ता का समर्थन करने और युद्ध के बाद के आर्थिक अवसरों की खोज करने के लिए समर्पित उच्च-स्तरीय टीमों की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने राजनयिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए वाशिंगटन और मॉस्को में दूतावासों में कर्मचारियों के स्तर को बढ़ाने की ओर भी प्रतिबद्धता दिखाई।
चर्चाओं से यूक्रेनी और यूरोपीय प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति पर विरोधियों द्वारा आलोचना की जा रही है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कड़ी अस्वीकृति व्यक्त कर कहा है की, यूक्रेन इन वार्ताओं से कोई परिणाम स्वीकार नहीं करेगा जिनमें वह भाग नहीं लेता।
क्षेत्रीय सुरक्षा को सीधे प्रभावित करने वाली चर्चाओं को देखकर यूरोपीय नेताओं को डर है कहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खुद ही इस युद्ध को कहीं समाप्त न करदे, जिसके लिए यूरोपीय देशोंने देड साल से अधिक समय तक अपने देश और अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाई। इसी क्रम में यूरोपीय देशों ने एक तत्काल बैठक भी की। दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा है की यूरोपीय देशों को अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाए अपना खुद का नेता बनाना होगा।
ट्रम्प प्रशासन ने संकेत दिया है कि हालाँकि शुरुआती वार्ताएँ द्विपक्षीय थीं, लेकिन भविष्य की वार्ताएँ व्यापक और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए यूक्रेन और यूरोपीय सहयोगियों को शामिल करेंगी। हालाँकि, शुरुआती बहिष्कार ने अमेरिकी विदेश नीति की दिशा और पारंपरिक गठबंधनों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं।
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बता दें की अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस के तरफ हाथ बढ़ाने से पूर्व कहा है की दुनिया रूस से लम्बे युद्ध लड़ने में असमर्थ है, उन्होंने हिटलर और नेपोलियन तक को मात दी है। इसी के साथ डोनाल्ड ट्रम्प ने यूक्रेन में बदलाव के संकेत भी दिए है। दो साल लंबे चले युद्ध में यूक्रैन पूरी तरह पस्त हो चूका है। यूक्रेन की एक बड़ी आबादी को अपनी जमीनों से निर्वासित होना पड़ा, यूक्रेन ने अपनी बड़ी जमीन गवाँ दी और अब अमेरिकी राष्ट्रपति यूक्रेन से 500 बिलीयन अमेरिकी डॉलर्स की युद्ध खर्चों की रिसीट यूक्रेन को थमा चूका है। हालांकि झेलेंस्की ने इसे देने से मना किया है, लेकीन यूक्रेन लंबे समय तक टाल नहीं सकेगा। इसीसे लोगों में अपरिपक्व नेताओं के चुने जाने से देश पर आने वाले भारी संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है।