प्रसिद्ध पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन घंटे से भी अधिक समय तक विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), शिक्षा, लर्निंग एंड फोकस, मंत्र और मेडिटेशन जैसे विषयों पर खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है।
पीएम मोदी ने कुछ सप्ताह पहले फ्रांस शिखर सम्मेलन में एआई पर भाषण दिया था। इस दौरान उन्होंने भारत में एआई इंजीनियरों की बड़ी संख्या के बारे में बताया था।
एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व को लेकर पॉडकास्ट में पूछे गए सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है। यह बहुत ही जिम्मेदारी से दिया गया बयान है। एआई डेवलपमेंट एक कोलैबोरेशन है, यहां हर कोई एक-दूसरे को अपने अनुभव और लर्निंग से सपोर्ट कर सकता है।
इंडिया सिर्फ इसका मॉडल नहीं बना रहा, बल्कि इसके विशेष उपयोग के मामलों के हिसाब से एआई आधारित एप्लिकेशन को भी विकसित कर रहा है। जीपीयू को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने के लिए हमारे पास एक यूनिक मार्केटप्लेस आधारित मॉडल पहले से मौजूद है। भारत की सोच में बदलाव आ रहा है। जब 5जी आया तो दुनिया को लगता था कि हम काफी पीछे हैं, लेकिन एक बार जब हमने शुरू किया तो दुनिया में सबसे तेज 5जी पहुंचाने वाले देश बन गए।”
एक वाक्या याद करते हुए पीएम मोदी ने बताया, “हाल ही में, एक अमेरिकी कंपनी के कार्यकारी ने मुझसे मुलाकात की और इस तथ्य के बारे में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने मुझे बताया कि अगर वह इंजीनियरों के लिए अमेरिका में विज्ञापन दें, तो उन्हें केवल एक कमरे को भरने तक के पर्याप्त आवेदन मिलेंगे।
वास्तविक मानवीय बुद्धिमत्ता के बिना, एआई न तो पनप सकता है और न ही स्थायी रूप से प्रगति कर सकता है, और वह वास्तविक बुद्धिमत्ता भारत के युवाओं और प्रतिभाओं में प्रचुर मात्रा में मौजूद है, और मेरा मानना है कि यह हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है।”
अमेरिका में शीर्ष टेक कंपनियों का नेतृत्व भारतीय मूल के लोग कर रहे हैं, जिनमें सुंदर पिचाई, सत्य नडेला, और अरविंद श्रीनिवासन हैं। यह पूछे जाने पर कि भारतीय मूल की ऐसी कौन सी भावना है, जो इन्हें सफल बनाती है, पीएम मोदी ने बताया, “भारतीय संस्कृति इस बात पर जोर देती है कि जिस स्थान पर आप पैदा हुए हैं और जिस स्थान पर आप काम करते हैं, उसके लिए समान सम्मान होना चाहिए। कोई अंतर नहीं होना चाहिए।
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