तो क्या राजस्थान क़े सीएम अशोक गहलोत का अति आत्मविश्वास उन्हें डूबा डाला। कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने गहलोत क़ो अध्यक्ष पद क़े चुनाव उम्मीदवार से हटाने की मांग की हैं। ऐसा लग रहा है कि उनका ज्यादा उत्साहपन ही गहलोत क़े राजनीति करियर पर ग्रहण लगा दिया है। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश से कमलनाथ क़ो दिल्ली बुलाया गया है। वहीं, खबरों में कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन को अभी कुछ समय के लिए टाल दिया है।
जिसे ये आसार नजर आ रहे हैं कि अब कांग्रेस आला कमान गहलोत की जगह कमलनाथ क़ो कांग्रेस अध्यक्ष बना सकता हैं। हालांकि अभी यह अनुमान हैं, लेकिन जिस तरह अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी की इज्जत बीच चौराहे पर उछाला हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस गहलोत क़े साथ सख़्ती से पेश आने का मूड बना लिया है। हालांकि, ऐसा कर पाना कांग्रेस क़े लिए आसान नहीं होगा, पर उम्मीद जताई जा रही है कि गहलोत क़े कदम पार्टी की अनुशासन क़ो तार तार कर दिया है।
गहलोत क़ो गांधी परिवार का सबसे करीबी माना जाता है। गांधी परिवार क़ो यह उम्मीद नहीं थी की गहलोत विधायकों क़े साथ मिलकर प्रेसर पालिटिक्स करेंगे। जिसका संदेश जनता में गलत होगा। दिल्ली से गये पर्यवेक्षक क़ो भी बेरंग लौटना पड़ा। अजय मारन और मल्लिकार्जुन खड़गे से विधायकों की कोई मुलाक़ात नहीं हो पाई।
इसके बाद पर्यवेक्षक दल ने आला कमान से पूरे घटनाक्रम का जिक्र किया। जिसके बाद गहलोत क़े शक्ति प्रदर्शन क़ो आलाकामान ने अपमान अनुशासनहीनता माना है। इस घटनाक्रम क़े बाद से यह साफ हो गया है कि गहलोत और गांधी परिवार क़े साथ रिश्ता में खटास आई है। वैसे भी राजस्थान क़े सियासी संकट ने कांग्रेस क़ो चिंता में डाल दिया है। वहीं, अब पार्टी बेलगाम हो चुके गहलोत पर लगाम लगाने की कोशिश भी तेज कर दी है। अब पार्टी राजस्थान में बैलेंस बनाने पर जोर दिया है।
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