असम सरकार ने राज्य में बहुविवाह की प्रथा पर रोक लगाने के उद्देश्य से मंगलवार (25 नवंबर)को विधानसभा में ‘असम प्रोहिबिशन ऑफ पोलिगैमी बिल, 2025’ पेश किया। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह बिल प्रस्तुत किया, जसके जरिए कानूनी ढांचे के माध्यम से बहुविवाह समाप्त करने को पूरा करने के सरकार वादे को पूरा करना है। यह कदम 2023 में राज्यव्यापी सर्वे के बाद आया है, जिसमें बहुविवाह के मामले और उससे महिलाओं पर पड़ने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को गंभीर माना गया था।
सरकार का कहना है कि बिल का उद्देश्य महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना और उन मामलों को रोकना है, जहां व्यक्तिगत कानूनों के दुरुपयोग से महिलाओं को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक कष्ट झेलने पड़े हैं।
बिल के प्रमुख प्रावधान
बिल के प्रमुख प्रावधानों के तहत बहुविवाह को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा वैध शादी के रहते दूसरी शादी करता है, जबकि पहली शादी न तो निरस्त हुई है और न ही कानूनी रूप से समाप्त हुई है, तो यह बहुविवाह माना जाएगा। पहले अपराध के मामले में अधिकतम 7 वर्ष की कैद और अदालत द्वारा तय किया जाने वाला जुर्माना लगाया जा सकेगा। वहीं, यदि कोई व्यक्ति अपनी पहली शादी को छिपाकर दूसरी शादी करता है, तो उसके लिए अधिकतम 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है, साथ ही जुर्माने की राशि अदालत तय करेगी। दोहराए गए अपराध की स्थिति में पिछले अपराध में दी गई सज़ा से दोगुनी सज़ा लागू होगी। इसके अलावा, बहुविवाह से पीड़ित महिलाओं को मुआवज़ा देने का स्पष्ट प्रावधान भी इस बिल में शामिल है।
कानून का दायरा और अपवाद
कानून का दायरा और अपवादों के तहत यह बिल पूरे असम राज्य में लागू होगा, लेकिन छठी अनुसूची के क्षेत्र, जैसे बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन, करबी आंगलोंग और दीमा हसाओ पर लागू नहीं होगा, क्योंकि इन क्षेत्रों को संविधान के तहत विशेष स्वशासन प्राप्त है।
इसी तरह, अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों को भी इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 342 में परिभाषित है। इसके अलावा, यदि असम का कोई निवासी कानून लागू होने के बाद राज्य से बाहर जाकर बहुविवाही विवाह करता है, तो वह भी इस कानून के अंतर्गत दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।
सहयोगियों और छिपाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई
सहयोगियों और तथ्य छिपाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई भी बिल का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें गाँव के मुखिया, क़ाज़ी, माता-पिता या अभिभावकों पर कार्रवाई का प्रावधान है, यदि वे बहुविवाही विवाह में सहायता करते हैं या तथ्य छिपाते हैं।
ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 2 वर्ष की कैद और अधिकतम ₹1 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसी तरह, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर अवैध विवाह संपन्न कराता है, तो उसके लिए भी अधिकतम 2 वर्ष की कैद और ₹1.5 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
दोषसिद्धि के बाद नागरिक प्रतिबंध
दोषसिद्धि के बाद नागरिक प्रतिबंधों के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा। वह राज्य द्वारा समर्थित किसी भी योजना का लाभ नहीं ले सकेगा और स्थानीय निकाय चुनावों जैसे पंचायत और नगरीय निकाय में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित रहेगा। इस प्रकार यह बिल न केवल बहुविवाह को दंडनीय बनाता है, बल्कि अपराध को सक्षम करने वाले सामाजिक ढांचे पर भी कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करता है।
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