सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) को 36 घंटे के भीतर अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश दिया कि घड़ी चुनाव चिन्ह का मामला अदालत में विचाराधीन है। न्यायालय ने पूर्व में न्यायालय द्वारा पारित आदेशों में यह उल्लेख करने का भी निर्देश दिया था कि प्रकरण हस्ताक्षर सहित शामिल है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति यह आदेश दिया गया कि घड़ी के निशान के दुरुपयोग का मामला उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष आएगा। अदालत ने दोनों समूहों को सलाह दी कि वे अदालत में ऊर्जा खर्च करने के बजाय प्रचार पर ध्यान केंद्रित करें।
पीठ ने अजित पवार समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह को 36 घंटे के भीतर मराठी सहित प्रमुख समाचार पत्रों में ‘घड़ी’ के प्रतीक की अस्वीकृति को प्रमुखता से जारी करने का आदेश दिया। सिंह ने आरोप लगाया कि शरद पवार समूह ऐसे समय में पूरी चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहा है जब उम्मीदवारी वापस लेने की समय सीमा समाप्त हो गई है। उनका विरोध शरद पवार गुट के अभिषेक मनु सिंघवी ने किया|सिंघवी ने दावा किया कि घड़ी का चुनाव चिह्न तीस साल से वरिष्ठ नेता शरद पवार से जुड़ा है, जिसका विपक्ष दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहा है|
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बीते 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी। अदालत ने कहा था कि अजित गुट आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है।
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