छगन भुजबल का दावा है, ”कुनबी प्रमाणपत्र लाने और ओबीसी को बाहर करने के लिए…’!

एक तरफ बैक डोर से उन लोगों को ओबीसी में लाने का दोहरा कार्यक्रम है, जिन्हें कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता है और दूसरी तरफ जो लोग अब ओबीसी में हैं, उन्हें अदालत में लड़कर ओबीसी से बाहर कर दिया जाता है। हम इस पर नजर रखे हुए हैं|

छगन भुजबल का दावा है, ”कुनबी प्रमाणपत्र लाने और ओबीसी को बाहर करने के लिए…’!

Chhagan Bhujbal claims, "To bring Kunbi certificate and exclude OBCs..."!

एक तरफ बैक डोर से उन लोगों को ओबीसी में लाने का दोहरा कार्यक्रम है, जिन्हें कुनबी प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता है और दूसरी तरफ जो लोग अब ओबीसी में हैं, उन्हें अदालत में लड़कर ओबीसी से बाहर कर दिया जाता है। हम इस पर नजर रखे हुए हैं| ‘ कानूनी लड़ाई, बाहरी लड़ाई जारी है| मनोज जरांगे पाटिल ने क्या कहा? क्या इसका मतलब वही नहीं है| जरांगे हर तरह का आरक्षण चाहते हैं, लेकिन वे जैसा कहते हैं वैसा ही चाहते हैं।

एक को कुनबी प्रमाण पत्र दिया तो बाकी देना होगा। फिर जब सभी कुनबी बन जाएं तो उन्हें ओबीसी के तहत अधिकार मिलना चाहिए| इसमें शिक्षा, नौकरी, राजनीतिक जैसे अधिकार हैं। 375 जातियां हैं, अगर ये सारी मंडलियां आ जाएं तो किसी को कुछ नहीं मिलेगा| छगन भुजबल ने कहा है कि ओबीसी खत्म हो जाएगा|

मराठा आरक्षण का कोई विरोध नहीं: हम मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आपको उन्हें अलग से आरक्षण देना चाहिए। पिछले कानून में रह गई किसी भी त्रुटि को सुधारें। फिर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई| इसके बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने मराठों को आरक्षण देने का रुख अपनाया, लेकिन अब वे सिर्फ ओबीसी में ही आरक्षण चाहते हैं, सीधे तौर पर भी चाहते हैं| पहले निज़ामशाही का सबूत हो तो दो।

पहले कहा गया कि 5000 प्रमाण प्राप्त हुए, फिर कहा गया कि 11000 प्रमाण प्राप्त हुए। पूरे महाराष्ट्र में कार्यालय खोले गए हैं और कुनबी प्रमाणपत्र वितरित किए जा रहे हैं। हमने जो आरक्षण हासिल किया है वह कड़ी मेहनत से हासिल किया है। यह खत्म होने वाला है|भुजबल ने यह भी कहा है कि एक तरफ वे ओबीसी में आने की कोशिश कर रहे हैं और दूसरी तरफ वे ओबीसी को हाई कोर्ट से बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं|
 
याचिका दायर कर…: 2018 में मराठा समुदाय के नेता या कार्यकर्ता बाला साहेब सराटे ने मामला दायर किया कि जो लोग वर्तमान में ओबीसी में हैं, चाहे वे वंजारी हों, माली हों, तेली हों, कुनबी हों उन्हें गैरकानूनी तरीके से ओबीसी में शामिल किया गया है|’ इसलिए याचिका दायर की गई कि सर्वे होने तक ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई जाए|अब उन्होंने उस केस को दोबारा उठाया और कहा कि इस केस को लड़ो| भुजबल ने यह भी कहा है कि फिलहाल यह केस नंबर 35 है, इसलिए सुनवाई में देरी होगी|
बच्चू कडू ने ठीक ही कहा है कि मराठा समुदाय अमेरिका या पाकिस्तान से नहीं आया था। इसलिए हमारी मांग है कि मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण दिया जाए| ये बात भुजबल भी कह चुके हैं|
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