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Tuesday, April 1, 2025
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बांग्लादेश: एलएनजी के आयात में बड़ी रुकावट, अरबो टका के बराबर कर्ज लेने को हुआ मजबूर!

विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से ऋण प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। विश्व बैंक गारंटर की भूमिका निभाएगा।

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बांग्लादेश के खस्ता आर्थिक हालात के चलते तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात में बड़ी रुकावट खड़ी हो गई है। इस मुश्किल को दूर करने के लिए सरकार भारी भरकम का कर्ज लेने की तैयारी में है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक डॉलर की कमी के कारण यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को अगले वित्त वर्ष में एलएनजी खरीद के लिए 350 मिलियन अमेरिकी डॉलर “42.70 अरब बांग्लादेशी टका के बराबर” का ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रथम आलो ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार के ऊर्जा एवं खनिज संसाधन प्रभाग तथा बांग्लादेश तेल, गैस एवं खनिज संसाधन निगम (पेट्रोबांग्ला) ने खुलासा किया है कि विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से ऋण प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। विश्व बैंक गारंटर की भूमिका निभाएगा।

घरेलू गैस उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है, इसलिए अंतरिम सरकार एलएनजी आयात पर निर्भर है। इस बीच, सरकार पर विदेशी कंपनियों का बहुत बड़ा बकाया है। बांग्लादेश की सबसे बड़ी गैस उत्पादक अमेरिकी कंपनी शेवरॉन पर 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक बकाया है, जबकि एलएनजी का बकाया भुगतान 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।

बकाया राशि बढ़ने के कारण विदेशी आपूर्तिकर्ता एलएनजी शिपमेंट देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि डॉलर के मौजूदा संकट ने आयात बिलों का निपटान करना मुश्किल बना दिया है।

विशेषज्ञों का तर्क है कि घरेलू गैस अन्वेषण पर एलएनजी आयात को प्राथमिकता देने से बांग्लादेश का ऊर्जा क्षेत्र जोखिम में आ गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि उधार लेने से भले ही अल्पकालिक राहत मिल सकती है, लेकिन यह मूल समस्या को हल करने में विफल रहेगा और इससे केवल वित्तीय तनाव ही बढ़ेगा।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक आयात के भुगतान के लिए ऋण पर निर्भर रहने के बजाय, सरकार को स्थायी ऊर्जा समाधानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

बांग्लादेश के फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने बताया कि देश को उद्योगों, बिजली संयंत्रों और अन्य गैस-खपत उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए महंगी एलएनजी का आयात करना पड़ेगा, क्योंकि घरेलू प्राकृतिक गैस का उत्पादन घट रहा है।

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