बांग्लादेश में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर अत्याचार हो रहा है। इसलिए वहां हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध करने वाले इस्कॉन के पूर्व सदस्य और हिंदू तपस्वी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेशी सरकार ने जेल में डाल दिया है। इसके बाद वहां दो और संन्यासियों को गिरफ्तार किया गया है।
इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने 30 नवंबर को कहा कि “बांग्लादेश में दो और हिंदू संन्यासियों को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों हिंदू संन्यास इस्कॉन से संबंधित हैं।” राधारमण पीटीआई से बात कर रहे थे| उन्होंने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट किया|
इसमें कहा गया, ”हमें अभी कुछ बुरी खबर मिली है। चिन्मय प्रभु के लिए प्रसाद ले जा रहे दो सन्यासियों को प्रसाद चढ़ाकर मंदिर लौटते समय गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, चिन्मय प्रभु के सचिव भी लापता हैं| कृपया सभी लोग उनके लिए प्रार्थना करें।”
इससे पहले भी राधारमण ने एक पोस्ट कर कहा था, ”हमारे एक और संन्यासी श्री श्याम दास प्रभु को चट्टोग्राम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है| ”उन्होंने एक्स पर कहा था कि ”क्या श्याम दास प्रभु आतंकवादी हैं?” उन्होंने क्या किया है बांग्लादेश सरकार को इस्कॉन के निर्दोष भिक्षुओं को जेल से रिहा करना चाहिए। इस्कॉन से संन्यास की गिरफ्तारी की खबर देखकर हमें गहरा सदमा लगा है।”
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से देश में अल्पसंख्यकों पर हमले शुरू हो गए हैं। ढाका से लगभग 300 किलोमीटर उत्तर में रंगपुर शहर में, हिंदू समुदाय के नेतृत्व में मजबूत कानूनी सुरक्षा और अल्पसंख्यकों को समर्पित एक मंत्रालय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। उसी के तहत चिन्मय दास को गिरफ्तार किया गया है|
बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए मैदान में RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शनिवार (30 नवंबर) को एक बयान जारी किया। संघ ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा की है| संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इस बयान में कहा, ”बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा हमले, हत्याएं, लूटपाट, डकैती, आगजनी, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अमानवीय हिंसा की घटनाएं बहुत चिंताजनक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन घटनाओं की निंदा करता है| बांग्लादेश की मौजूदा सरकार और अन्य सुरक्षा एजेंसियां, पुलिस और सेना इन सभी घटनाओं पर आंखें मूंदे हुए हैं| रक्षा तंत्र वहां अल्पसंख्यकों को बचाने के बजाय मूकदर्शक बन गए हैं।
वहीं, बांग्लादेश में हिंदुओं ने अपने खिलाफ हो रहे अन्याय और अत्याचार के बाद आवाज उठाने की कोशिश की। लेकिन वहां की सरकार ने उनकी आवाज दबा दी है|वहां के हिंदुओं ने विरोध करने की कोशिश की लेकिन बांग्लादेशी सरकार ने हिंदुओं के विरोध को कुचल दिया। मौके-बेमौके वे उनके साथ अन्याय और अत्याचार करने लगे हैं।”
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