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Friday, January 10, 2025
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ठाकरे की शिवसेना को बड़ा झटका; बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका को किया खारिज!

5 सितंबर 2022 को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्यपाल द्वारा निर्देशित 12 विधायकों की नियुक्ति के लिए अनुशंसित सूची वापस ले ली थी| इसके खिलाफ जुलाई 2023 में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) नेता ने जनहित याचिका दायर की थी|

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महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा निर्देशित 12 विधायकों की नियुक्ति के लिए सिफारिशों की सूची शिंदे सरकार ने वापस ले ली थी। इसके खिलाफ शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के ​​कोल्हापुर नेता सुनील मोदी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था​|​ हालांकि, इस याचिका को अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और अमित बोरकर की पीठ ने याचिका खारिज कर दी|

5 सितंबर 2022 को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्यपाल द्वारा निर्देशित 12 विधायकों की नियुक्ति के लिए अनुशंसित सूची वापस ले ली थी|इसके खिलाफ जुलाई 2023 में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) नेता सुनील मोदी ने जनहित याचिका दायर की थी| हाई कोर्ट ने इस मामले में 7 अक्टूबर 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था| हालांकि अब ये याचिका ही खारिज हो चुकी है|

जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने इस बात पर ध्यान दिया कि नामांकनों में राज्यपाल की भूमिका क्या था और क्या अलग-अलग मंत्रिमण्डलों द्वारा लिए गए फैसलों के बीच अंतर होना चाहिए? दरअसल, साल 2022 में तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार ने पहले की एमवीए सरकार द्वारा मनोनीत नामों की लिस्ट वापस ले ली थी, जिसके बाद शिवसेना यूबीटी ने ‘अतिक्रमण’ और ‘राज्यपाल की निष्क्रियता’ का आरोप लगाया था|

​​इस बीच 14 अक्टूबर 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सात विधायकों को विधान परिषद भेज दिया​|​ सुनील मोदी ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए एक और जनहित याचिका दायर की​|​ सुनील मोदी ने तर्क दिया था कि राज्यपाल द्वारा नए विधायकों की नियुक्ति जबकि मामले में पिछली याचिका फैसले के लिए आरक्षित थी, कानून के प्रतिकूल थी। इस बीच, इस दूसरी याचिका पर अभी सुनवाई नहीं हुई है और जल्द ही इस पर सुनवाई होने की संभावना है​|​

​वहीं, मौजूदा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले 7 एमएलसी की एक नई लिस्ट को मंजूरी दी थी​|​ इस दौरान सुनील मोदी ने तर्क दिया था कि जब तक कोर्ट में फैसला लंबित है, राज्यपाल इन नामों को मंजूरी नहीं दे सकते थे​|​

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