कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच बीजेपी-कांग्रेस की लड़ाई बजरंग बली तक चली आई है। दरअसल बीते दिन कांग्रेस ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया। जिसमें पार्टी की ओर से कहा गया कि कर्नाटक में सरकार बनने पर बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों पर बैन लगाया जाएगा। कर्नाटक विधानसभा का चुनाव 10 मई को होगा और परिणाम 13 मई को आएगा।
वहीं पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में जय बजरंग बली के नारे से शुरुआत कर इसको और भी हवा दे दी। बीजेपी अब इसे और बड़ा मुद्दा बनाते हुए राज्य भर में शाम सात बजे हनुमान चालीसा का पाठ कराने जा रही है। बीजेपी राज्य के हर मंदिर, ग्राम पंचायत में और शहरी इलाके में हनुमान चालिसा का पाठ करेंगे। जिसके बाद माना जा रहा है कि कहीं कांग्रेस का यह दांव उल्टा न पड़ जाए। कर्नाटक में बजरंग दल पर बैन विवाद के बीच बीजेपी समर्थकों ने जगह-जगह मैं हूं बजरंगी के पोस्टर लगा दिए। इन पोस्टर्स पर मैं हूं बजरंगी के साथ ही लिखा था कि कांग्रेस मुझे बैन लगाकर गिरफ्तार करना चाहती है।
जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी को राहुल गांधी की ‘पांच गारंटी’ और ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई’ के दायरे में ही रहना चाहिए था। कर्नाटक में फायदे में चल रही कांग्रेस ने ‘बजरंग’ दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कह कर बेवजह नुकसान मोल ले लिया है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुदर्शन कहते हैं कि कर्नाटक के चुनाव में एक तो पहले से ही हनुमानजी की एंट्री हो चुकी थी। हनुमान और भगवान राम के अयोध्या और कर्नाटक के आपसी कनेक्शन को चुनावी रैलियों में भाजपा के नेताओं की ओर से लगातार जिक्र भी किया जा रहा था। सुदर्शन कहते हैं कि ऐसे मौके पर कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में बजरंग दल का जिक्र करके भाजपा को हिंदुत्व के मुद्दे को और आगे बढ़ाने का मौका दे दिया।
इस पूरे मामले में अब चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि क्या बजरंग दल पर सख्ती किए जाने और भाजपा को इस पूरे मामले में हनुमानजी से जोड़ने का सियासी फायदा किसे होने वाला है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इसमें कोई शक नहीं है कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा को कांग्रेस से मजबूत चुनौती मिल रही है। इस चुनौती के पीछे कई कारण है, जिसकी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर राज्य स्तरीय नेतृत्व को बखूबी जानकारी है।
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