बिहार के जातिगत जनगणना का मामला पहुंचा SC, 6 अक्टूबर को सुनवाई
Team News Danka
Updated: Tue 03rd October 2023, 12:08 PM
बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े आ गए हैं। वहीं इस पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीजेपी और भाजपा के नेता इसकी खामियों को गिना रहे हैं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट Supreme Court (SC) की चौखट पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट Supreme Court (SC) भी इस मामले पर सुनवाई को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है। अब इस पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी। बता दें कि कोर्ट ने आंकड़े जारी करने को लेकर कोई रोक नहीं लगाई थी। आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि आंकड़े जारी कर दिए गए हैं।
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को जातिगत जनगणना के आंकड़े को जारी किया। आंकड़े के अनुसार बिहार में कुल 13 करोड़ से अधिक की आबादी है। इसमें 63 प्रतिशत जनसंख्या ओबीसी यानी अन्य पिछड़ी जातियों की है। ये जातियां पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में बंटे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 27 प्रतिशत पिछड़ी आबादी, 36 प्रतिशत अति पिछड़ी हैं। इस संबंध में बिहार के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि ओबीसी (पिछड़ी ) 27.13 प्रतिशत, अत्यंत अति पिछड़ा वर्ग 36. 01 प्रतिशत, सामान्य 15.52 प्रतिशत ,एससी 19 प्रतिशत और एसटी 1.68 प्रतिशत है। अगर बिहार की कुल आबादी की बात की जाए तो 13 करोड़ 7 लाख 310 है ज्यादा है।
वहीं, बिहार में सवर्ण की जनसंख्या अनारक्षित या सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत, भूमिहार 2. 86 प्रतिशत, ब्राह्मण 3. 66 प्रतिशत, कुर्मी 2. 87 प्रतिशत, मुसहर 3 प्रतिशत, यादव 14 प्रतिशत, राजपूत 3. 45 प्रतिशत है। जनगणना में यह भी सामने आया है कि बिहार में 82 प्रतिशत हिन्दू , 17.7 प्रतिशत मुसलमान, .05 प्रतिशत ईसाई, . 08 प्रतिशत बौद्ध जबकि . 0016 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनका कोई धर्म ही नहीं है। बता दें कि, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह आंकड़ा जारी किया था। बताते चले कि जातिगत जनगणना के आंकड़े को जारी करने के लिए पटना हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। लेकिन, कोर्ट बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना का काम शुरू किया था।