बिहार चुनाव 2025: पु्ष्पम प्रिया चौधरी की बड़ी हार; क्या मास्क में ही रहेंगी प्लुरल पार्टी की नेता ?

भाजपा के संजय सरावगी ने उन्हें 96,000 से अधिक वोटों से पछाड़ दिया है।

बिहार चुनाव 2025: पु्ष्पम प्रिया चौधरी की बड़ी हार; क्या मास्क में ही रहेंगी प्लुरल पार्टी की नेता ?

bihar-chunav-2025-pushpam-priya-badi-haar

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गिनती जारी है और प्लुरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी एक बार फिर करारी शिकस्त की ओर बढ़ती दिख रही हैं। जिस दरभंगा सीट से उन्होंने अपनी तकदीर आज़माई, वहां भाजपा के संजय सरावगी ने उन्हें 96,000 से अधिक वोटों से पछाड़ दिया है। सरावगी 2020 की तरह इस बार भी बड़े अंतर से आगे चल रहे हैं, जबकि वीआईपी के उमेश सहनी उनसे 24,000 वोट पीछे हैं।

उधर, पुष्पम प्रिया ने सार्वजनिक रूप से वादा किया था कि वह चुनाव जीतने तक अपना चेहरा नहीं दिखाएंगी, इस बार भी भारी अंतर से पिछड़ गई हैं। रुझानों के अनुसार वे 95,529 से अधिक वोटों से पीछे हैं। उनकी पार्टी प्लुरल्स इस चुनाव में ‘सीटी’ प्रतीक पर सभी 243 सीटों पर मैदान में उतरी है। पूरी तरह काले कपड़े और मास्क में किए गए उनके कैंपेन ने भले ध्यान खींचा, लेकिन वोटों में यह समर्थन नहीं बदल सका।

पुष्पम प्रिया का मास्क अब उनकी पहचान बन चुका है। वे कहती हैं कि भारतीय राजनीति में सफेद कपड़ों की परंपरा उन्हें कभी समझ नहीं आई, इसलिए उन्होंने काला रंग चुना। एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा था, “मैं काला पहनती हूं क्योंकि मुझे समझ नहीं आता कि राजनेता सफेद क्यों पहनते हैं।” लेकिन मास्क सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं है यह उनका संकल्प है। उन्होंने कहा था कि वह इसे तभी हटाएंगी जब पहली बार चुनाव जीतेंगी। मौजूदा नतीजों को देखते हुए वह वक़्त अभी दूर लगता है।

पुष्पम प्रिया बिहार की उन नई राजनीतिक आवाज़ों में से हैं जो पारंपरिक राजनीति के बीच एक ताज़ा विकल्प बनने की कोशिश कर रही हैं। 13 जून 1987 को दरभंगा में जन्मी, उन्होंने यहीं से पढ़ाई की और फिर पुणे में स्नातक किया। इसके बाद वह विदेश चली गईं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ ससेक्स से डेवलपमेंट स्टडीज़, तथा लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (LSE) से 2019 में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स किया। राजनीति में आने से पहले वे बिहार सरकार के पर्यटन और स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार के रूप में काम करती थीं।

उनके पिता विनोद कुमार चौधरी जदयू के पूर्व विधायक रह चुके हैं। दादा प्रोफ़ेसर उमाकांत चौधरी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगियों में रहे और समता पार्टी के शुरुआती सदस्यों में शामिल थे। उनके चाचा विनय कुमार चौधरी ने 2020 में बेनीपुर से जदयू टिकट पर जीत हासिल की थी।

2020 में उच्च उम्मीदों के साथ पुष्पम प्रिया ने पूरे 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई थी, लेकिन पार्टी पंजीकरण से जुड़ी देरी और व्यवस्थागत दिक्कतों के कारण प्लुरल्स सिर्फ 148 सीटों पर ही उतर पाई। उनमें से कई उम्मीदवार स्वतंत्र के रूप में लड़े और एक भी जीत नहीं मिली।

पांच साल बाद 2025 में भी तस्वीर बहुत अलग नहीं दिखती। हालांकि उनका प्रयोग, विचारधारा और आक्रामक कैंपेनिंग युवाओं में चर्चा का विषय बनी थी, लेकिन वोटों में यह भरोसा अभी तक बदल नहीं सका। दरभंगा सीट पर मिल रहे नतीजे यह साफ दिखाते हैं कि मास्क हटाने का उनका इंतज़ार अब भी लंबा खिंच सकता है।

यह भी पढ़े:

बिहार चुनाव 2025: राहुल गांधी ‘फ्लॉप नेता’, जहां गए, वहां हार

भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका: पहले दिन का खेल समाप्त, भारत का स्कोर 37/1

“सुशासन की जीत हुई है, विकास की जीत हुई है, जन-कल्याण की भावना की जीत हुई है”

Exit mobile version