बिहार की चुनावी राजनीति में आज सबसे नाटकीय तस्वीर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के घराने से निकल रही है—जहाँ दो भाई, जो कभी एक ही दल की दो मजबूत शाखाएँ थे, अब आमने-सामने खड़े हैं। छोटे भाई तेजस्वी यादव जहाँ अपने पारंपरिक गढ़ राघोपुर में बढ़त बनाए हुए हैं, वहीं बड़े भाई तेज प्रताप यादव महुआ सीट पर शुरुआती दौरों में ही गहरी पिछड़त में पहुँच गए हैं।
परिवार के भीतर यह राजनीतिक विभाजन इस चुनाव को सिर्फ दलगत प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत संघर्ष भी बना रहा है। चुनाव आयोग के ताज़ा रुझानों के अनुसार, महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव राघोपुर में लगभग 200 वोटों से बढ़त बनाए हुए हैं। राघोपुर यादव परिवार का मजबूत किला माना जाता है, जहाँ तेजस्वी का आगे होना उनके लिए रणनीतिक राहत है।
इसके विपरीत, तेज प्रताप यादव महुआ में तीसरे स्थान पर हैं। तीसरे दौर की गिनती के अनुसार:
एलजेपी (राम विलास) के संजय कुमार सिंह: 10,301 वोट
आरजेडी के मुकेश रोशन: 6,781 वोट
जेडी(डी) (JJD) के तेज प्रताप यादव: 1,500 वोट
तेज प्रताप एलजेपी प्रत्याशी से लगभग 9,000 वोट पीछे चल रहे हैं। यह अंतर शुरुआती चरण के लिए बेहद बड़ा माना जा रहा है। तेज प्रताप की यह राजनीतिक स्थिति उस पृष्ठभूमि में और गंभीर दिखती है जिसमें RJD ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था। लालू यादव ने यह कार्रवाई 25 मई को की थी, आरोप लगाते हुए कि तेज प्रताप का “गैरजिम्मेदाराना व्यवहार” और “परिवारिक मूल्यों का उल्लंघन” पार्टी के लिए अस्वीकार्य है।
यह विवाद एक कथित फेसबुक पोस्ट से उपजा, जिसमें तेज प्रताप ने अनुष्का यादव के साथ अपने पुराने संबंधों का ज़िक्र किया बताया गया था। तेज प्रताप ने इसे फर्जी बताते हुए आरोप लगाया कि उनका खाता हैक हुआ था और तस्वीरें एडिट कर उन्हें बदनाम किया गया।
निष्कासन के बाद, उन्होंने जनशक्ति जनता दल (JJD) की स्थापना की और 5 अगस्त को पाँच छोटे दलों के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया। मगर शुरुआती रुझान बताते हैं कि यह नई राजनीतिक यात्रा अभी कठिन दौर से गुजर रही है।
2015 और 2020 में RJD के टिकट पर जीतने वाले तेज प्रताप इस बार न सिर्फ सीट बदल चुके हैं बल्कि दल भी। 2020 में हसनपुर में वे 20,000 से अधिक वोटों से जीते थे। इस बार महुआ में वे शुरुआती ही राउंड में भारी अंतर से पिछड़ गए हैं। बिहार की राजनीति में इस गिरावट को लेकर व्यापक चर्चाएँ हो रही हैं। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव विपक्ष के मुख्य चेहरे के रूप में अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल दिखते हैं, और राघोपुर में उनकी बढ़त RJD के लिए प्रतीकात्मक राहत है।
मतदान से पहले तेज प्रताप ने एग्जिट पोल खारिज करते हुए कहा था, “मैं एग्जिट पोल में विश्वास नहीं करता। 14 नवंबर को क्या होगा, कोई नहीं जानता… देखते हैं क्या होता है।” उन्होंने जोड़ा था कि वे जीत को लेकर आश्वस्त हैं और उत्सव की नहीं, “काम की तैयारी” कर रहे हैं। लेकिन अब तक के रुझान इस दावे को चुनौती देते दिख रहे हैं।
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