विपक्ष एकता को सूत्र में पिरोने के लिए रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राज्यसभा सांसद मनोज झा और जेडीयू के नेता ललन सिंह भी थे। ये सभी नेता दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात की। माना जा रहा है कि केजरीवाल ने अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार द्वारा बदलने पर उन्होंने विपक्ष के नेताओं से समर्थन मांगने की बात कही थी।
इस मुलाक़ात के बाद से नीतीश कुमार ने कहा कि जो केंद्र कर रही है वह विचित्र है। जनता ने एक सरकार को चुना है, आप उसके अधिकारियों को कैसे हटा सकते हैं। संविधान के साथ ये लोग जो भी कर रहे हैं उसे जनता देख रही है। इस मुद्दे पर हम अरविंद केजरीवाल के साथ हैं। सभी विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ अभियान चलाना चाहिए।
जबकि, तेजस्वी यादव ने कहा कि जिन राज्यों गैर बीजेपी सरकार है, उन सरकारों को परेशान किया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अध्यादेश केजरीवाल सरकार को परेशान करने के लिए है। केंद्र संविधान को बदलना चाहती है। अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार होती तो आज एलजी वह नहीं करते। अब दिल्ली में बीजेपी की वापसी नहीं होने वाली है। वहीं, बिहार के सीएम नीतीश कुमार का मानना है कि सभी राजनीतिक दल एक साथ मिलकर लड़ें तो आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी साफ हो जायेगी।
उनका कहना है कि इस बार बीजेपी से जनता नाराज है इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं मिलेगा। पिछले दिनों नीतीश कुमार ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और यूपी के समाजवादी पार्टी के मुखिया से भी मिल चुके हैं और विपक्ष के साथ आने की अपील की है। नीतीश कुमार कर्नाटक में शनिवार को हुए सिद्धारमैया शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए थे।
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