बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना शुक्रवार (14 नवंबर) सुबह 8 बजे शुरू होते ही राजनीतिक तापमान चरम पर पहुँच गया। शुरुआती रुझानों ने यह साफ संकेत दे दिया कि इस बार मुकाबला एकतरफ़ा होता जा रहा है। सुबह 10:50 बजे तक के रुझानों में एनडीए 190 से अधिक सीटों पर आगे दिखाई दिया, जबकि महागठबंधन 50 सीटों के करीब सिमटता दिखा। जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ी, एनडीए का आंकड़ा 193 सीटों तक पहुँच गया। इनमें से जेडीयू 84 सीटों पर आगे और बीजेपी 80 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी। एनडीए घटक दलों का संयुक्त प्रदर्शन स्पष्ट रूप से संकेत दे रहा है कि गठबंधन इस चुनाव में रिकॉर्ड बहुमत की ओर अग्रसर है।
तेजस्वी यादव राघोपुर में पीछे
महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव शुरूआती दौर में राघोपुर से आगे थे, लेकिन बाद में वह 1,273 वोटों से पीछे हो गए। यह बदलाव विपक्षी खेमे में चिंता बढ़ाने वाला रहा। इसके विपरीत, भाजपा की युवा उम्मीदवार और लोकगायिका मैथिली ठाकुर अलीनगर सीट से मजबूत बढ़त बनाए हुए थीं, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल रहा।
इस बार दो चरणों 6 और 11 नवंबर में हुए मतदान में 67.13% की ऐतिहासिक वोटिंग दर्ज की गई। यह लंबे समय में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत में से एक है, जिसने चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया था। 243 सीटों के इस चुनावी संग्राम में सवाल यह था कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार पाँचवीं बार सत्ता में वापसी करेंगे या इस बार सत्ता परिवर्तन देखने को मिलेगा। शुरुआती आंकड़े यह दिखा रहे हैं कि नीतीश कुमार का जनाधार और प्रशासनिक छवि अब भी मतदाताओं को प्रभावित कर रही है।
जेडीयू की बड़ी वापसी, बीजेपी का मजबूत प्रदर्शन
रुझानों के अनुसार जेडीयू इस चुनाव में अप्रत्याशित रूप से बड़ी जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। 101 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद 84 सीटों पर बढ़त पार्टी के लिए राजनीतिक संदेश साफ करती है कि नीतीश कुमार की पकड़ अब भी मजबूत है। बीजेपी भी 80 सीटों पर आगे है, जो उसे गठबंधन के भीतर एक ठोस और निर्णायक भूमिका देता है। एनडीए की कुल सीटें 185 पार कर गई थीं, जिससे सरकार गठन लगभग तय माना जा रहा है।
विपक्ष की स्थिति कमजोर
महागठबंधन में आरजेडी केवल 37 सीटों पर आगे थी, जबकि कांग्रेस 7 सीटों तक सीमित रही। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसे चुनाव का ‘वाइल्ड कार्ड’ माना जा रहा था, केवल एक सीट पर बढ़त ले सकी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जेडीयू का यह प्रदर्शन स्पष्ट संकेत देता है कि 20 वर्षों की सत्ता कभी उतार, कभी चढ़ाव के बावजूद नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अब भी एक निर्णायक और विश्वसनीय चेहरा बने हुए हैं।
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