25 C
Mumbai
Tuesday, December 9, 2025
होमदेश दुनियाबिहार चुनाव 2025 : क्या सरायरंजन सीट पर टूटेगा जदयू का किला?

बिहार चुनाव 2025 : क्या सरायरंजन सीट पर टूटेगा जदयू का किला?

सरायरंजन विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी। यह सीट समस्तीपुर जिले के छह विधानसभा खंडों में से एक है और उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

Google News Follow

Related

बिहार के समस्तीपुर जिले से 13 किमी की दूरी पर स्थित सरायरंजन केवल एक प्रखंड (ब्लॉक) नहीं है, बल्कि यह उत्तर बिहार की राजनीति और अर्थव्यवस्था का एक ऐसा केंद्र है, जहां की हर चुनावी फसल राज्य के बड़े दलों के भविष्य की दिशा तय करती है। यह वह भूमि है जहां 2020 के चुनाव में एक ऐसी कड़ी राजनीतिक जंग लड़ी गई जिसने सबकी सांसें थाम दी थीं।

2020 में इस सीट से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार और बिहार सरकार के कद्दावर नेता विजय कुमार चौधरी ने जीत हासिल की थी, लेकिन यह जीत पहले जैसी आसान नहीं थी। उन्होंने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उम्मीदवार अरविंद कुमार सहनी को सिर्फ 3,624 वोटों के मामूली अंतर से हराया।

वर्तमान में, इस सीट पर सबसे सफल दल जनता दल (यूनाइटेड) रहा है। विजय कुमार चौधरी बीते 15 वर्षों से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मौजूदा समय में वह नीतीश सरकार में जल संसाधन और संसदीय कार्य विभाग के मंत्री हैं।

यह सीट अनारक्षित (जनरल) श्रेणी की है। यहां का जातीय और सामुदायिक समीकरण चुनावी परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस बार के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जदयू और राजद के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है, क्योंकि अब तक के चुनावी इतिहास में इस सीट से दोनों प्रमुख पार्टियों को यहां की जनता ने अपना भरोसा जताया है।

दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र के ग्रामीण और जागरूक मतदाताओं ने विभिन्न विचारधाराओं को समर्थन दिया है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टियों को अब तक एक भी जीत नहीं मिली है, जो यहां के चुनावी रुझानों की एक अनूठी विशेषता मानी जाती है।

सरायरंजन विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी। यह सीट समस्तीपुर जिले के छह विधानसभा खंडों में से एक है और उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

पिछले विधानसभा चुनावों के सफर में, सरायरंजन के मतदाताओं ने कई राजनीतिक दलों को मौका दिया है। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस से लेकर भारतीय जनसंघ (बीजेएस) ने भी इस सीट से सफलता का स्वाद चखा है।

साल 2010 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से जदयू के विजय कुमार चौधरी ने राजद के रामाश्रय सहनी को कांटे की टक्कर में लगभग 17,000 मतों से हराया था। 2015 में, जदयू ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

भाजपा ने रंजीत निर्गुणी को मैदान में उतारा और जदयू की जीत का अंतर बढ़ गया। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने अपना उम्मीदवार बदलकर अरविंद कुमार सहनी को मैदान में उतारा, पर जदयू फिर से जीत गई।

सरायरंजन की आत्मा इसके खेतों में बसती है। यह विधानसभा क्षेत्र 100 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं का गढ़ है और इसकी जीवनरेखा बूढ़ी गंडक नदी है, जो यहां से लगभग 14 किलोमीटर दूर बहती है।

यह नदी इस पूरे क्षेत्र की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था को पोषित करती है। यहां के किसान मुख्य रूप से धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती करते हैं। इसके अलावा, आलू, प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की पैदावार भी किसानों की आय का एक अहम जरिया है।

सरायरंजन अपने आस-पास के गांवों के लिए एक महत्वपूर्ण कृषि उपज व्यापार केंद्र के रूप में काम करता है, जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डेयरी व्यवसाय भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र चारों ओर से अन्य प्रमुख कस्बों और शहरों से घिरा हुआ है, जिसमें विद्यापति नगर (10 किमी), दलसिंहसराय (15 किमी), जबकि दरभंगा (45 किमी), मुजफ्फरपुर (65 किमी) और राजधानी पटना (73 किमी) शामिल हैं।

सरायरंजन की राजनीति और इसकी समस्याओं को समझने के लिए, इसके कृषि-प्रधान चरित्र और 100 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं को समझना सबसे रूरी है।

 
यह भी पढ़ें-

जलपाईगुड़ी में भाजपा नेताओं पर हमला, सांसद खगेन मुर्मू घायल!

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,705फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें