पटना में सोमवार को एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को वह मिला भी है या नहीं, यह क्यों नहीं बताया जा रहा है। बिहार में परिपाटी हो गई है कि चिट्ठी का जवाब नहीं दिया जाए। इससे स्पष्ट होता है कि बिहार में सरकार जनहित और आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर नहीं है।
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पत्र में बहुजन आबादी को हक और अधिकार दिलाने तथा आरक्षण व्यवस्था को बढ़ाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, लेकिन सरकार इस मामले पर गंभीरता नहीं दिखा रही है। राजद नेता मनोज झा ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा तो कर दी, लेकिन भाजपा की चाल, चरित्र और चेहरा जो हमेशा बहुजन विरोधी और आरक्षण के खिलाफ रहा है, वह अब दिखने लगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में होने वाले जातिगत जनगणना के कार्यों में भटकाव लाना चाहती है, आखिर क्या कारण है कि जातियों की गणना तो होगी, लेकिन ओबीसी की आबादी के आंकड़े नहीं जारी किए जाएंगे।
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