लखनऊ। 18 सितंबर को अयोध्या में होने वाली ओबीसी मोर्चा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण की अध्यक्षता में होने वाली राज्य कार्यकारिणी बैठक में राज्य के शीर्ष नेतृत्व के अलावा यूपी के सभी ओबीसी सांसद और विधायक भी भाग लेंगे। यह बैठक इसलिए भी अहम है, क्योंकि सियासी समीकरणों को देखते हुए भाजपा इस बार पहले से बेहतर तरीके से मंडल और कमंडल दोनों समुदाय के वोटरों को साधने की कोशिश में है। उत्तर प्रदेश में 50 फीसदी से अधिक ओबीसी मतदाताओं की आबादी है, जिनमें यादव और अन्य ओबीसी जातियां हैं। यह ओबीसी समुदाय राज्य में सबसे प्रभावशाली समुदायों में से एक है।
भाजपा को पिछले चुनावों में इस ओबीसी समुदाय का समर्थन मिला था, मगर बीजेपी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ओबीसी समुदाय 2022 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा का समर्थन करता रहे। हालांकि, ओबीसी समुदाय पर बीजेपी का ज्यादा फोकस इसलिए भी है, क्योंकि मायावती ब्राह्मण वोटरों में सेंधमारी की कोशिश में जुटी हुई हैं। ऐसे में बीजेपी ओबीसी समुदाय पर फोकस कर न सिर्फ उन्हें अपने पाले में लाना चाहती है, बल्कि ब्राह्मण वोटरों को भी संदेश देना चाहती है। ओबीसी बैठक के रूप में पार्टी की ओर से यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि ऐसी धारणा है कि आने वाले चुनाव में ओबीसी समुदाय के लिए पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी एक मुद्दा बन सकती है। इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्रिपरिषद के हालिया विस्तार में हल करने की पूरी कोशिश की गई है।
मोदी कैबिनेट के विस्तार में राज्य के ओबीसी समुदायों के कई नेताओं को शामिल किया गया। इनमें गैर यादव समुदाय के नेताओं, अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी जैसे कुर्मियों को भी शामिल किया गया। भाजपा के राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहा कि मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं कि ओबीसी को उचित प्रतिनिधित्व मिले। लक्ष्मण ने अयोध्या में ओबीसी मोर्चा की राज्य कार्यकारिणी बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार ने मेडिकल एजुकेशन में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी है और केंद्रीय मंत्रिमंडल में समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व दिया है। हमने देश भर में उन मंत्रियों के लिए जन आशीर्वाद यात्रा आयोजित की है।