उसके बाद राज्य सरकार ने खुले मैदान में जंबो कोडिंग सेंटर बनाने का फैसला किया था| इसी के मुताबिक बीएमसी ने सरकार को एक बयान दिया, जिसमें बीएमसी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काफी व्यस्त है| इसके बाद दहिसर, बीकेसी, सायन, मलाड, कांजुरमार्ग सहित कुछ कोविड केंद्र सरकार के अलावा बनाए गए थे। इसलिए आरोप लगाया गया कि इन सभी कोविड सेंटर के ठेकों में 100 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है|
बीकेसी में कोविड केंद्र एमएमआरडीए द्वारा बनाया गया था जबकि कांजुरमार्ग में सिडको ने इसे बनाया था| मुंबई मेट्रो रेल ने भी बनाया था। निर्माण के बाद बीएमसी निर्माण लागत शून्य हो गई। इसमें बीएमसी का योगदान जीरो रहा। जब ये जंबो अस्पताल चरणों में बनाए गए थे| दस में से एक कोविड अस्पताल 2022 में रिपोर्ट किया गया था। इस संबंध में आज पूछताछ की गई| चहल ने कहा कि उन्होंने जांच में सहयोग किया है|
उस समय कोविड अस्पताल में जहां सब कुछ हमारा है, हमने कोटेशन लिया और चार पार्टियों को काम आउटसोर्स कर दिया। इससे लाखों लोगों को समय पर इलाज मिल सका। उनकी जान बचाई। इन चारों पार्टियों का काम सिर्फ हमें डॉक्टर और स्टाफ उपलब्ध कराना था। इसके अनुसार उन्हें प्रतिदिन भुगतान करने का निर्णय लिया गया।
कोरोना के दौरान मुंबई में जंबो कोविड सेंटर स्थापित करने के लिए विभिन्न कंपनियों को ठेके दिए गए, जिसमें लाइफ लाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज को बिना किसी अनुभव के चिकित्सा सेवाएं और उपकरण उपलब्ध कराने का ठेका मिला| इतना ही नहीं, आरोप है कि इस कंपनी ने ठेका हासिल करने के लिए बीएमसी को फर्जी दस्तावेज सौंपे हैं। इस कंपनी का नाम संजय राउत के करीबी रिश्तेदार सुजीत पाटकर और उनके पार्टनर के नाम पर है…कंपनी की स्थापना जून 2020 में हुई थी।
बताया गया कि उक्त कंपनी नई है और हो सकता है कि उसने अनुभव न होने के बावजूद ठेका दिया हो, जिसके बाद पुणे महानगर क्षेत्र प्राधिकरण ने कंपनी को समाप्त कर दिया और 25 लाख की राशि जब्त कर ली| उसके बाद खबर आई कि इस कंपनी को कोई ठेका नहीं देने के आदेश के बावजूद मुंबई नगर निगम ने इस कंपनी को ठेका दे दिया है|



