मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव 2025/26 को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर व्यापक अटकलें हैं कि बहुप्रतीक्षित बीएमसी चुनावों की तारीखों का ऐलान सोमवार दोपहर किया जा सकता है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक वरिष्ठ नेता ने मिडिया को बताया कि राज्य चुनाव आयोग सोमवार देर दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।
गौरतलब है कि बीएमसी की 227 सीटों के लिए पिछला चुनाव फरवरी 2017 में हुआ था। इसके बाद से ही महानगरपालिका चुनावों में लगातार देरी होती रही है, जिसे लेकर राजनीतिक दलों के साथ-साथ नागरिक संगठनों और मतदाताओं में भी असंतोष देखा गया है।
आगामी चुनावों को लेकर सत्तारूढ़ महायुति भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के एकजुट होकर चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर अंदरूनी मतभेद बताए जा रहे हैं, लेकिन रणनीतिक तौर पर गठबंधन के साथ मैदान में उतरने पर सहमति बनती दिख रही है।
इसके उलट विपक्षी महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के भीतर मतभेद उभरकर सामने आए हैं, खासकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को लेकर। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) MNS के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में है, जबकि कांग्रेस इस प्रस्ताव को लेकर आशंकित बताई जा रही है। कांग्रेस नेताओं को डर है कि एमएनएस के साथ गठबंधन करने से उत्तर भारतीय मतदाताओं का समर्थन प्रभावित हो सकता है।
बीएमसी चुनावों की संभावित घोषणा से पहले महायुति सरकार ने शहरी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए कई बड़े कदम उठाए हैं। इनमें हजारों इमारतों को ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट (OC) देने की प्रक्रिया, पगड़ी सिस्टम वाली इमारतों का पुनर्विकास, क्लस्टर डेवलपमेंट को बढ़ावा देने और सांताक्रूज़ क्षेत्र में फनल या फ्लाइट पाथ में आने वाली इमारतों को राहत देने जैसे फैसले शामिल हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये घोषणाएँ सीधे तौर पर महानगरपालिका चुनावों को ध्यान में रखकर की गई हैं, ताकि शहरी मध्यम वर्ग और पुनर्विकास से जुड़े हितधारकों का समर्थन हासिल किया जा सके।
यदि सोमवार को चुनाव तारीखों का ऐलान होता है, तो मुंबई की राजनीति में औपचारिक चुनावी शंखनाद हो जाएगा। बीएमसी न केवल देश की सबसे अमीर नगर निकायों में से एक है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में इसका प्रतीकात्मक और रणनीतिक महत्व भी बेहद बड़ा माना जाता है। ऐसे में सभी दलों की नजरें इस चुनाव पर टिकी हैं और आने वाले दिनों में राजनीतिक गतिविधियाँ और तेज़ होने की संभावना है।
यह भी पढ़ें:
दिल्ली-एनसीआर में गहराया स्मॉग का संकट, धुंध की वजह से विजिबिलिटी हुई शून्य!
मेक्सिको के 50% तक आयात शुल्क बढ़ाने पर भारत की कड़ी आपत्ति, उठेंगे ‘उचित कदम’
‘दिल्ली को दुल्हन बनाया जाएगा’: लष्कर आतंकी फिर आया सामने, भारत को दी खुली धमकियाँ



