गणेशोत्सव में अब कुछ ही दिन बचे हैं. हर साल गणेशोत्सव में बड़ी संख्या में डीजे और लेजर लाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इससे नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरा है। त्योहारों, समारोहों और जुलूसों में अक्सर बड़ी मात्रा में चमकदार रोशनी (लेजर बीम), तेज आवाज वाले डीजे का इस्तेमाल होता है। अब इस प्रयोग के विरुद्ध बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई। अब इस याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया है|
जनहित याचिका दायर: अखिल भारतीय उपभोक्ता पंचायत की ओर से बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है| त्योहारों में अक्सर लेजर बीम और डीजे का इस्तेमाल किया जाता है। इससे कई लोगों की आंखों की रोशनी और सुनने की क्षमता पर असर पड़ा है। कुछ ने अपनी दृष्टि स्थायी रूप से खो दी है। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि लेजर बीम और डीजे के इस्तेमाल को लेकर उचित आदेश दिए जाएं|
डीजे, तेज संगीत और लेजर लाइट से बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। डीजे कई लोगों के दिल की धड़कन भी तेज कर देता है। याचिकाकर्ता वकील सत्येन्द्र मुले ने यह भी दावा किया कि डीजे से उत्पन्न तीव्र ध्वनि तरंगों के कारण आसपास की इमारतों में कंपन पैदा होता है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश: अब मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने अखिल भारतीय उपभोक्ता पंचायत द्वारा दायर याचिका को गंभीरता से लिया। त्योहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण मानदंडों का व्यापक उल्लंघन किया जाता है। साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि दोनों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तदनुसार उचित कार्रवाई और उपाय करें।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं के पास लेजर बीम से उत्पन्न खतरे को खत्म करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। इस संबंध में संबंधित विभाग के अधिकारियों को शिकायत व बयान देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है| इसलिए कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप कर प्रतिवादियों को उचित आदेश देने का अनुरोध किया गया|
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