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पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं PM जस्टिन ट्रूडो भारत से पाल रखें हैं खुन्नस   

 जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो ने 1984 में पीएम थे, तब उन्होंने भी ख़ालिस्तानों का समर्थन किया था।  

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कनाडा में जिस तरह से भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की झांकी में उनको गोली मारते हुए पुतला बनाया गया था। जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि  जिस तरह कनाडा में खालिस्तानियों ने कट्टरता दिखा रहे हैं। उस अब कई तरह के सवाल उठने लगे। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया। कुछ समय से देखा जा रहा है कि खालिस्तानियों का भारत के खिलाफ बढ़ता  विरोध सीमा पार कर रहा है।लेकिन कनाडा की सरकार इस ध्यान देने के बजायइस ओर से मुंह मोड़ ले रही है।
बता दें कि पूरे कनाडा में लगभग आठ लाख सिख निवास करते हैं। यानी कनाडा की पूरी आबादी में 2.1 प्रतिशत सिख नागरिक हैं। इसके अलावा जो वर्क परमिट या जिनके पास पीआर यानी परमानेंट रेसीडेंसी है। साथ ही विजिटर वीजा पर भी कुछ सिख रह रहे हैं। यहां रहने वाले सिख का व्यवहार भारत के सिखों से अलग होता है। उनमें भारत के खिलाफ गुस्सा है।
कनाडा भारत से क्षेत्रफल में तीन गुना बड़ा है, लेकिन आबादी के लिहाज से दिल्ली अएनसीआर की जनसंख्या के बराबर है। यहां सिख राजनीति रूप से खूब सक्रिय हैं। 338 सदस्यों वाली कनाई संसद में 18 सदस्य सिख हैं। इसके अलावा मुस्लिम, बौद्ध, यहूदी और चीनी भी हैं। पीएम जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी बहुमत से 14 सदस्य दूर है।  जिनकी कमी  न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी  द्वारा किया गया है। यही वजह है ट्रूडो खालिस्तानियों के प्रति नरम रुख अपनाये हुए हैं। इस पार्टी के अध्यक्ष  जगमीत सिंह सिख है जो सिखों को भारत के खिलाफ उकसाते रहते हैं।
बताया जा रहा है कि ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो जब 1984 में पीएम थे तब भी ख़ालिस्तानों का उन्होंने समर्थन किया था। उसी तरह जब जस्टिन ट्रूडो 2015 में पीएम बने तो उन्होंने अपनी कैबिनेट में चार भारतीय सिखों को रखा था। इसमें एक सिख नेता घोषित तौर पर खालिस्तानी समर्थक था।  जो उनके ही पार्टी से था और उनका करीबी था। उसी समय जस्टिन  ने टोरंटो में हुए एक खालिस्तानी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। यहां खालिस्तान के समर्थन में नारे लगे थे।
बताया जाता है कि जस्टिन ट्रूडो भारत से नाखुश रहते हैं। इसकी वजह भारत  कनाडा को कोई भाव नहीं देता है। हालांकि, कनाडा में चार जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर इंदिरा गांधी  के पुतले को उनके अंगरक्षक द्वारा गोली मारते हुए दिखाना। सिखों का भारत प्रति दुर्भावना का ही प्रतीक है। सिखों ने एक तरह से  इसे सिखों की वीरता के रूप में प्रदर्शित किया था।


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