बता दें यूएस प्रेसिडेंट लंबे समय से कनाडा को लेकर हमलावर रहे हैं। वह कई बार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बता चुके हैं और इसके प्रधानमंत्री को राज्य का गर्वनर।
ट्रंप ने ओटावा को अपनी इच्छा के अनुरूप झुकाने के लिए कनाडा से आयातित उत्पादों पर 25 टैरिफ लगाए, हालांकि फिर उन्होंने इनमें से कुछ पर रोक भी लगा दी। कनाडा ने भी जवाबी टैरिफ लगाए। ट्रूडो ने अपने अमेरिकी समकक्ष पर देश की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
कार्नी ने अपने विजय भाषण में कहा कि ट्रंप ‘कनाडाई श्रमिकों, परिवारों और व्यवसायों पर हमला कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते।” कार्नी के मुताबिक उनकी सरकार अमेरिकी आयातों पर टैरिफ तब तक जारी रखेगी ‘जब तक अमेरिकी हमें सम्मान नहीं देते।”
कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने के ट्रंप के दावे के जवाब में, कार्नी ने कहा, “कनाडा कभी भी किसी भी तरह से, अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा।” उन्होंने कहा, “अमेरिकी हमारे संसाधन, हमारा पानी, हमारी ज़मीन, हमारा देश चाहते हैं।” उन्होंने कहा। “ये काले दिन हैं, एक ऐसे देश की ओर से थोपे गए काले दिन जिस पर हम अब भरोसा नहीं कर सकते।”
लिबरल नेतृत्व की दौड़ जनवरी में शुरू हुई थी जब ट्रूडो ने लगभग एक दशक तक पद पर रहने के बाद इस्तीफा दे दिया था। मतदाताओं के बीच गहरी अलोकप्रियता के कारण उन पर पद छोड़ने का बेहद दबाव था। लोग आवास संकट और बढ़ती कॉस्ट ऑफ लीविंग से निराश थे।
ट्रूडो ने रविवार को अपनी लिबरल पार्टी को विदाई संबोधन के दौरान चेतावनी दी कि कनाडा को संयुक्त राज्य अमेरिका से “अस्तित्व संबंधी चुनौती” और “आर्थिक संकट” का सामना करना पड़ रहा है।
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