पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को SC से जमानत मंजूर हुई है। पश्चिम बंगाल में कैश फॉर स्कूल जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि (31 दिसंबर) तक पार्था चटर्जी के खिलाफ निचली अदालत आरोप तय करने पर फैसला लिया जाए। बता दें की पार्थ चटर्जी ममता बॅनर्जी के बेहद करीबी और भरोसेमंद लोगों में से एक जाने जाते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए है की भर्ती अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पार्थ चटर्जी को 1 फरवरी 2025 से जमानत पर रिहा किया जाए, या फिर आरोप तय करने और कमजोर गवाहों की जांच की जाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने ट्रायल कोर्ट से ये भी कहा कि वो इस महीने आरोप तय करने पर फैसला करे और जनवरी 2025 तक कमजोर गवाहों के बयान दर्ज करें। कार्यवाही के महत्वपूर्ण चरण पर समय सीमा तय करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वो शीतकालीन अवकाश शुरू होने से पहले या 31 दिसंबर, 2024 से पहले आरोप तय करने पर फैसला करे, जो भी पहले हो।
सर्वोच्च न्यायलय ने स्पष्ट किया है की इस के बाद चटर्जी को जमानत पर रिहा किया जा सकता है। न्यायालय के निर्णय अनुसार 1 फरवरी के बाद चटर्जी को हिरासत में नहीं रख सकेंगे। चटर्जी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह इस मामले में लंबे समय से जेल में हैं और अन्य आरोपियों के जमानत पर बाहर होने की तरह ही जमानत मांगी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं से संबंधित मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है और सैकड़ों गवाहों से पूछताछ की जानी है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मामले में पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और भारी मात्रा में नकदी जब्त की गई है। शीर्ष अदालत को ये भी बताया गया कि पार्थ सीबीआई की तरफ से जांचे जा रहे एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में है।
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