भारत सरकार ने जनगणना 2027 के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, देशभर में जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार पहली बार जातिगत आंकड़े भी जनगणना में शामिल किए जाएंगे, जो कि देश की सामाजिक संरचना को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अधिसूचना के अनुसार, पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जिसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमाच्छादित और कठिन क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा। वहीं दूसरा और मुख्य चरण 1 मार्च 2027 से देश के शेष हिस्सों में शुरू होगा। इसके लिए संदर्भ तिथि दो अलग-अलग समयों को माना गया है लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि (00:00 बजे),अन्य राज्यों के लिए: 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि (00:00 बजे)
केंद्र ने इस अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि यह आदेश 1948 के जनगणना अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत जारी किया गया है और इससे पूर्व की 2019 की अधिसूचना को निरस्त किया जाता है।
यह जनगणना इतिहास में पहली बार जातिगत आंकड़ों को दर्ज करेगी। हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार ने जाति आधारित गणना को मंजूरी दी थी, जिससे सरकार को बेहतर लक्षित नीतियां बनाने और सामाजिक न्याय को सुदृढ़ करने में सहायता मिलेगी।
सरकार के अनुसार, जातिगत डेटा से देश की वास्तविक सामाजिक संरचना को समझने में मदद मिलेगी और इससे शिक्षा, नौकरियों और कल्याणकारी योजनाओं को अधिक प्रभावी रूप से लागू किया जा सकेगा।
जनगणना 2027 न केवल भारत की जनसंख्या का आंकलन करेगी, बल्कि पहली बार जातिगत संरचना को भी सामने लाएगी, जो नीतिगत निर्णयों के लिए अत्यंत उपयोगी होगी। हालांकि इसके साथ-साथ राजनीतिक घमासान भी तेज़ होता दिखाई दे रहा है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि सरकार इस प्रक्रिया को कितनी पारदर्शिता और संवेदनशीलता से अंजाम देती है।
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