केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना पार्टी और धनुष्यबान एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। एकनाथ शिंदे के समूह के आधिकारिक शिवसेना पार्टी बनते ही राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ठाकरे परिवार के प्रति वफादार पुराने शिवसैनिकों की भी नाराजगी है।
उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसैनिकों को आश्वासन दिया था। उद्धव ठाकरे ने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि मैं दृढ़ हूं, आप थकना नहीं, हिम्मत नहीं हारना है, हम अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे| उद्धव ठाकरे के इस बयान से कार्यकर्ताओं में नई चेतना का संचार हुआ है| ऐसे ही एक पुराने शिवसैनिक ने ऐलान किया है कि हम एकनाथ शिंदे से हाथ मिलाने को तैयार हैं| शिवसैनिक का यह पत्र इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इस पत्र में एक पुराने कार्यकर्ता और कट्टर शिवसैनिक ने एकनाथ शिंदे को अपनी दिल की बात कह कर चुनौती दी है| शिवसेना की बागडोर संभाल रहे हैं। नाम मिला, निशान मिला। इस शिवसैनिक ने पत्र में कहा है कि हमें न मिला है और न मिलेगा, यह मातोश्री के प्रति हमारी निष्ठा और विश्वास है|
इतना ही नहीं इस शिवसैनिक ने एकनाथ शिंदे का शुक्रिया भी अदा किया है. उन्होंने कहा, ‘इसके लिए धन्यवाद शिंदे जी, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद सवाल था कि क्या किया जाए? आपने वह प्रश्न हल कर दिया। मेरा जीवन बढ़ाया गया है। कम से कम 15 साल बाद। अब मैं जल्दी मरना नहीं चाहता और मैं नहीं मरूंगा। अगर हम देशद्रोहियों को दफनाए बिना ऊपर जाएंगे तो बालासाहेब उन्हें लात मारकर गिरा देंगे।
उद्धव को आदित्य का ध्यान रखने को कहा था। इस तरह आप ऊपर आ गए। बालासाहेब माफ नहीं करेंगे। इस शिवसैनिक ने पत्र में कहा है कि सब कुछ अफोर्ड किया जा सकता है, लेकिन आप बड़े आकाओं की नाराजगी कैसे सह सकते हैं? यह पत्र इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसलिए, भले ही शिवसेना पार्टी और धनुष्य-बाण चले गए हों, लेकिन ठाकरे ब्रांड का जादू अब भी कायम है।
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