शिवतारे ने कहा, अभी दो दिन पहले उन्होंने बयान दिया था कि ‘जो भी फैसला आए, उसका स्वागत किया जाना चाहिए| इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि ये बड़े लोग कहां कुछ खेल खेलेंगे। शिवसेना को खत्म करने के लिए शरद पवार जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी आलोचना की है कि सारा दोष पवार का है, वह इसका फायदा उठाना चाहते हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद पवार ने भाजपा को बिना शर्त समर्थन दिया| वह समर्थन पवार की साजिश थी। पवार नहीं चाहते थे कि शिवसेना-भाजपा की युति चलती रहे। पवार ने कभी शिवसेना के साथ समझौता नहीं किया। हालांकि पवार की दोस्ती हिंदू दिल की धड़कन से थी, लेकिन राजनीतिक मतभेद थे।
2019 में उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे की कुर्सी की इच्छा को खत्म किया और पवार के पास गए। शरद पवार राज्य की राजनीति का बरमूडा ट्राएंगल हैं। जो भी उनके पास पहुंचे, वह उसमें चला जायेगा, यह इतिहास है। जब 2019 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के पास एक भी उम्मीदवार नहीं था, तो राज ठाकरे को ‘लव रे तो विडिओ’ कहा गया। विजय शिवतारे ने कहा कि उद्धव ठाकरे के भोलेपन का फायदा शरद पवार और अजित पवार ने उठाया है| शनिवार को आखिरकार शरद पवार की चाल कामयाब हो गई। इस साजिश के लिए शरद पवार और उद्धव ठाकरे जिम्मेदार हैं। चुनाव आयोग का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।
बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि कांग्रेस का पंचसूत्री स्थापित होना चाहिए और मेरे बाद उद्धव को संभालना चाहिए। यह अब किसी को याद नहीं है। उद्धव ठाकरे ने विधायकों से कहा था कि कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन तोड़ने के लिए 16 विधायकों के कहने के बाद अगर आप जाना चाहते हैं तो आपको भी जाना चाहिए| शिवतारे ने यह सवाल भी उठाया कि कौन जाने कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस की मिलीभगत हो।
शिवसेना के चुनाव चिह्न को आयोग के फ्रीज पर अनिल देसाई की प्रतिक्रिया