मराठा समुदाय के छात्रों के उत्थान के लिए छत्रपति शाहू महाराज इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च, ट्रेनिंग एंड ह्यूमन डेवलपमेंट (सारथी) की स्थापना की गई थी। इस संस्थान ने विदेश में अध्ययन के लिए 50 मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति देने की घोषणा की। लेकिन, वह घोषणा हवा में ही गुम हो गई।
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की फीस आम छात्र वहन नहीं कर सकते। हलाखी के कारण कई छात्र योग्यता के बावजूद विदेश में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। इसे देखते हुए कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने छात्रवृत्ति की घोषणा की। समाज कल्याण विभाग एवं अन्य बहुजन कल्याण विभाग विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए पिछड़े वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं।
इसी तर्ज पर ‘सारथी’ ने मराठा समुदाय के छात्रों को स्नातकोत्तर और पीएचडी करने के लिए छात्रवृत्ति देने का प्रस्ताव रखा। इसके अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग बहुजन कल्याण विभाग की तर्ज पर छात्रवृत्ति नीति तय की गई।
मराठा समुदाय के 50 मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने का निर्णय लिया गया है, आवेदक मराठा समुदाय से होना चाहिए, साथ ही राज्य का निवासी होना चाहिए, छात्र को ‘क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग’ के लिए शीर्ष 200 में किसी विश्वविद्यालय या शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश दिया जाना चाहिए। मास्टर डिग्री और पीएचडी, जबकि पीएचडी के लिए अधिकतम 40 लाख रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया था।हालांकि, इस प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं मिलने के कारण अभ्यर्थियों में हड़कंप मच गया है।
‘सारथी’ की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर सरकार ने अभी फैसला नहीं लिया है। कुलदीप आंबेकर, अध्यक्ष, स्टूडेंट्स हेल्पिंग हैंड ने कहा कि इसलिए जो छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं उन्हें इस साल नुकसान होगा। सरकार को केवल घोषणा करने के बजाय इसे लागू करना चाहिए।
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