छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने राज्य की आंतरिक सुरक्षा को लेकर शनिवार (29 नवंबर) को एक महत्वपूर्ण अपडेट साझा किया। उन्होंने कहा कि राज्य में 80 प्रतिशत माओवादी प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो चुका है, और अब नक्सलवाद कुछ सीमित इलाकों तक सिमट गया है। शर्मा के अनुसार, वर्तमान में यह समस्या केवल अबूझमाड़ के पश्चिमी हिस्से तथा सुकमा और बीजापुर जिलों के दक्षिणी क्षेत्रों तक सीमित रह गई है।
उपमुख्यमंत्री ने दावा किया कि इस प्रगति के चलते बस्तर के लोगों को अब राहत की सांस मिली है और वे भयमुक्त होकर सामान्य जीवन जी पा रहे हैं। यह बयान उस समय आया है जब पिछले एक सप्ताह में बस्तर के कई जिलों में बड़ी संख्या में माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक माओवाद को पूरी तरह समाप्त करने की स्पष्ट समयसीमा तय की है, और राज्य सरकार को भरोसा है कि यह लक्ष्य समय पर पूरा कर लिया जाएगा।
विजय शर्मा ने नक्सलवाद से जुड़े लोगों के लिए खुला प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि जो भी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटना चाहता है, उसका स्वागत है। सरकार उनकी पुनर्वास प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी लेगी और उन्हें समाज में सम्मानजनक ढंग से बसाने में हर संभव सहायता करेगी।
हालांकि, उपमुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट चेतावनी दी कि जो लोग हिंसा छोड़ने को तैयार नहीं हैं और हथियारबंद रहकर राज्य की शांति को चुनौती देंगे, उनके खिलाफ सुरक्षा बल सख्ती से कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य की सुरक्षा एजेंसियां पूरी क्षमता के साथ शेष माओवादी गढ़ों को खत्म करने के लिए अभियान जारी रखेंगी।
बस्तर के भविष्य को लेकर पूछे गए प्रश्न पर शर्मा ने कहा कि सरकार ‘जल, जंगल, जमीन’ को स्थानीय लोगों का अधिकार मानती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बस्तर का भविष्य वहां के युवाओं के हाथों में है। ‘बस्तर ओलंपिक’ और ‘बस्तर पंडुम’ जैसे कार्यक्रमों में युवाओं की ऊर्जा और भागीदारी यह साबित करती है कि वे अपने क्षेत्र के विकास की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। शर्मा ने कहा कि ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार देने के लिए आवश्यक कानूनी प्रावधान जल्द लागू किए जाएंगे, ताकि विकास और निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय समुदाय की भूमिका और मजबूत हो सके।
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