गुजरात के अहमदाबाद में हुए भयावह विमान हादसे को लेकर पूरे देश में शोक की लहर है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार (13 जून) को इस हादसे पर गहरा दुख प्रकट किया। उन्होंने एक आधिकारिक बैठक से पूर्व दो मिनट का मौन रखकर दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यह घटना अत्यंत पीड़ादायक है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “आज प्रातःकाल बैठक के दौरान अहमदाबाद विमान हादसे पर शोक व्यक्त किया। बैठक से पूर्व इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में हताहत हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा। इस दुःखद घटना से मन अत्यंत व्यथित है, पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।”
इससे पहले गुरुवार को भी उन्होंने हादसे पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने लिखा था, “अहमदाबाद में हुई दुर्भाग्यपूर्ण विमान दुर्घटना में कई यात्रियों के असमय निधन का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है। इस हृदय विदारक हादसे में दिवंगत यात्रियों, मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों एवं क्रू मेंबर्स के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी दिवंगतों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिवारजनों को यह असीम पीड़ा सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शुक्रवार सुबह अहमदाबाद पहुंचे और हादसे के घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने वहां मौजूद राहत एवं बचाव कार्यों में लगे अधिकारियों से मुलाकात की और स्थिति की जानकारी ली। पीएम मोदी ने लिखा, “आज अहमदाबाद में दुर्घटनास्थल का दौरा किया। तबाही बेहद दुखद है। अधिकारियों और टीमों से मुलाकात की जो घटना के बाद अथक परिश्रम कर रहे हैं। हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने इस अकल्पनीय त्रासदी में अपने प्रियजनों को खो दिया है।”
इस हादसे के बाद एयर इंडिया ने मृतकों के परिजनों और पीड़ित परिवारों की मदद के लिए ‘मित्र एवं सहायता केंद्र’ शुरू किया है। एयर इंडिया ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर जानकारी दी कि ये सहायता केंद्र नई दिल्ली, मुंबई और गैटेविक हवाई अड्डों पर स्थापित किए गए हैं, जहां से पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है।
गौरतलब है कि गुरुवार को अहमदाबाद में एयर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें कुल 242 लोग सवार थे। इस भयावह हादसे में सिर्फ एक व्यक्ति की ही जान बच पाई, जिसकी पहचान ब्रिटिश मूल के भारतीय नागरिक के रूप में हुई है। मृतकों में कई मेडिकल कॉलेज के छात्र, छात्राएं और क्रू सदस्य शामिल थे।
यह त्रासदी न केवल तकनीकी विफलता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि देश को मानवता के उस मोड़ पर ले आती है, जहां पीड़ा, संवेदना और सहानुभूति की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और एयर इंडिया जैसे संस्थानों की त्वरित प्रतिक्रिया के बावजूद, यह हादसा लंबे समय तक राष्ट्रीय स्मृति में दर्ज रहेगा।
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