जयराम के दावे पर सवाल! तो क्या 2024 में सत्ता बदलने पर नई संसद में नहीं होगी कार्यवाही?   

कांग्रेस नेता ने कहा कि पुरानी संसद के मुकाबले न तो नई संसद में सदस्यों के बातचीत और मेल मिलाप की जगह है। उन्होंने नई संसद की खामियां गिनाई।     

जयराम के दावे पर सवाल! तो क्या 2024 में सत्ता बदलने पर नई संसद में नहीं होगी कार्यवाही?   
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नई संसद भवन में कई खामियों का हवाला देते हुए पीएम मोदी की आलोचना की है। साथ उन्होंने कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नई संसद का बेहतर तरह से उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई संसद “मोदी मल्टी कॉम्प्लेक्स” या “मोदी मैरियट” कहा जाना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि पुरानी संसद के मुकाबले न तो नई संसद में सदस्यों के बातचीत और मेल मिलाप की जगह है। उन्होंने दावा किया कि कर्मचारियों को भी कई असुविधाओं से गुजरना पड़ रहा है।

“मोदी मल्टी कॉम्प्लेक्स” या “मोदी मैरियट”:
कांग्रेस नेता ने एक्स सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी करते हुए लिखा है कि 2024 सत्ता परिवर्तन होने के बाद नई संसद के बेहतर उपयोग का रास्ता ढूंढा जाएगा। उन्होंने लिखा है कि जिस तरह से बड़े प्रचार के साथ नई संसद भवन का उद्घाटन किया गया था। वह पीएम मोदी के उद्देश्यों को साकार करने वाला है और उसे  “मोदी मल्टी कॉम्प्लेक्स” या “मोदी मैरियट” कहा जाना चाहिए।

नई संसद में इस जुड़ाव को खत्म कर दिया गया:
  जयराम ने कहा कि चार दिन की कार्यवाही में देखा है कि संसद में एक दूसरे से संवाद की जगह नहीं बची है और ऐसा दोनों सदनों में है। पुरानी संसद के बारे में जयराम रमेश ने कहा कि पुरानी संसद में सदस्यों के बीच बातचीत की सुविधा थी। दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल या संसद के गलियारों में घूमना भी आसान था। उनका कहना है की नई संसद में इस जुड़ाव  को खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुरानी संसद में खो जाने पर आसानी से रास्ता मिल जाता था। क्योंकि वह गोलाकार थी। जबकि नई संसद भूल भुलैया है ,इसमें खो जाने पर रास्ता नहीं मिलेगा।

संसद कर्मचारियों ने भी असुविधा का जिक्र किया:
जयराम रमेश ने दावा किया कि संसद कर्मचारियों ने भी असुविधा का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि मैंने कर्मचारियों को यह कहते हुए सुना है कि नए संसद भवन की डिजाइन में उन्हें अपना काम करने के लिए जरुरी निर्माण पर विचार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है जब संसद में बैठने वाले लोगों से विचार विमर्श नहीं किया जाता है। शायद 2024 में सत्ता बदलने के बाद संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
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