कांग्रेस नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने उम्मीदवार के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी (कार्यकाल 2007–2011) को उतारा है। लेकिन उनकी उम्मीदवारी के साथ ही उनके न्यायिक कार्यकाल से जुड़े कई पुराने विवाद फिर सुर्खियों में आ गए हैं। भाजपा और मीडिया रिपोर्ट्स इन्हें बार-बार उठा रही हैं, जिससे विपक्ष की रणनीति सवालों के घेरे में है।
विवादित फैसले और आरोप
- सलवा जुडूम विवाद (2011)
बी. सुदर्शन रेड्डी उस सुप्रीम कोर्ट पीठ का हिस्सा थे जिसने 2011 में छत्तीसगढ़ के विवादित ‘सलवा जुडूम’ अभियान को असंवैधानिक करार दिया था। यह अभियान नक्सलवाद से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा समर्थित एक अर्धसैनिक मॉडल था, जिसमें आम नागरिकों को हथियारबंद कर नक्सलियों से लड़ने के लिए संगठित किया गया था। अदालत ने इस व्यवस्था की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है क्योंकि निर्दोष ग्रामीणों को हिंसा और असुरक्षा की परिस्थितियों में झोंक दिया गया। हालांकि इस फैसले को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सराहा, भाजपा और सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसे “प्रो-नक्सल” बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक ठहराया। विपक्ष का कहना है कि इस निर्णय से सरकार की नक्सल विरोधी लड़ाई कमजोर हुई और सुरक्षा बलों के मनोबल पर भी असर पड़ा। - भोपाल गैस कांड का मामला (2010)
रेड्डी 2010 में उस सुप्रीम कोर्ट बेंच के भी सदस्य थे जिसने 1984 के भोपाल गैस कांड से जुड़े मामले को दोबारा खोलने की याचिका खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि यूनियन कार्बाइड और उसके तत्कालीन सीईओ वॉरेन एंडरसन पर गंभीर आरोप लगाए जाएं और उन पर कठोर कार्रवाई की जाए। अदालत ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए पुराने आदेशों को बरकरार रखा। इस निर्णय की भारी आलोचना हुई और पीड़ित संगठनों ने इसे न्याय से वंचित करने वाला करार दिया। आलोचकों का आरोप है कि अदालत ने कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के दबाव में आकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों और शक्तिशाली व्यक्तियों को बचाने का काम किया। भाजपा इस फैसले को आज भी रेड्डी के “पक्षपाती रवैये” का उदाहरण बताती है और इसे कांग्रेस से उनकी निकटता का सबूत मानती है। - भ्रष्टाचार और काले धन पर टिप्पणियाँ (2011)
दिलचस्प बात यह है कि बी. सुदर्शन रेड्डी ने अपने कार्यकाल में कांग्रेस सरकार की भी आलोचना की थी। 2011 में वे उस पीठ में शामिल थे जिसने यूपीए सरकार को भ्रष्टाचार और काले धन के मामलों में ढिलाई बरतने पर फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि सरकार गंभीर मामलों में कार्रवाई करने से बच रही है और जांच को टालमटोल कर रही है। उस समय उनकी इस आलोचना को मीडिया ने सख्त संदेश माना था। लेकिन आज जब कांग्रेस नेतृत्व वाला INDIA गठबंधन उन्हें उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बना रहा है, भाजपा ने इसे बी. रेड्डी के फैसलों में विरोधाभास करार दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि जिस जज ने कभी यूपीए की आलोचना की थी, उसी को अब गठबंधन का चेहरा बनाना विपक्ष की अवसरवादी राजनीति दिखाता है। - बेंच फिक्सिंग और पक्षपात के आरोप
रेड्डी के खिलाफ एक और विवाद सोशल मीडिया और कुछ रिपोर्ट्स में सामने आता रहा है। उन पर आरोप लगाया गया कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कांग्रेस के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ मामलों में बेंच गठित करने या फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश की। हालांकि इन आरोपों की ठोस पुष्टि किसी मुख्यधारा मीडिया रिपोर्ट या आधिकारिक दस्तावेज में नहीं है, लेकिन भाजपा और उनके आलोचक इसे बार-बार उठाते हैं। आलोचकों का मानना है कि उनकी न्यायिक प्रवृत्ति कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा के करीब रही है, जबकि समर्थक कहते हैं कि उन्होंने केवल संविधान और मानवाधिकारों की रक्षा की थी।
चाहे वह सलवा जुडूम का मामला हो, भोपाल गैस कांड पर रुख हो या बेंच फिक्सिंग के आरोप, भाजपा ने जोर-शोर से इन्हे उछालते हुए बी. सुदर्शन रेड्डी को समझौता कर चुके जज बताया है। उपराष्ट्रपति पद की उनकी उम्मीदवारी ने न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है, बल्कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत होता है और इसके लिए संसद के दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य मतदान करते हैं। इस प्रक्रिया में राज्य विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती। मतदान पूरी तरह गुप्त होता है और इसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व तथा सिंगल ट्रांसफरेबल वोट (STV) प्रणाली अपनाई जाती है। सांसद अपने मतपत्र पर उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में अंकित करते हैं और आवश्यक कोटा हासिल करने वाला उम्मीदवार विजयी घोषित होता है।
किसी भी उम्मीदवार की नामांकन प्रक्रिया भी काफी औपचारिक और सख्त होती है। उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों का प्रस्तावक और 20 सांसदों का अनुमोदन मिलना अनिवार्य है। नामांकन पत्र संसद सचिवालय में नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर (आमतौर पर लोकसभा या राज्यसभा के महासचिव) के पास जमा कराया जाता है।
उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना, न्यूनतम आयु 35 वर्ष पूरी करना, राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखना और सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर न होना आवश्यक है। इन प्रावधानों से यह सुनिश्चित होता है कि उपराष्ट्रपति न केवल संसदीय परंपराओं से परिचित हो, बल्कि संविधान के अनुरूप स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अपने दायित्वों का निर्वहन कर सके। 2025 का चुनाव 9 सितंबर को होगा। जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद यह उपचुनाव कराया जा रहा है।
बी सुदर्शन रेड्डी की हार क्यों तय मानी जा रही है?
रेड्डी की राह इसलिए कठिन मानी जा रही है क्योंकि भाजपा-नीत एनडीए के पास संसद में स्पष्ट संख्यात्मक बढ़त है। लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर एनडीए के पास लगभग 400 से अधिक सांसदों का समर्थन है, जबकि INDI गठबंधन गठबंधन की ताकत 230 से 240 के बीच सिमटी हुई है।
यही नहीं, आंध्र प्रदेश की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियाँ, तेलुगू देशम पार्टी (TDP) और वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP), ने भी एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन का समर्थन करने की घोषणा कर दी है, जिससे विपक्ष की संभावनाएँ और कमजोर हो गई हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने रेड्डी के पुराने विवादित फैसलों, जैसे सलवा जुडूम और भोपाल गैस कांड, को मुद्दा बनाकर उन्हें राष्ट्रविरोधी और पक्षपाती ठहराने का अभियान तेज कर दिया है।
इन आरोपों ने उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया है और तटस्थ सांसदों के समर्थन की संभावना को और कम कर दिया है। इसके अलावा, ऐतिहासिक रुझान भी विपक्ष के खिलाफ जाते हैं, क्योंकि 2007 के बाद से उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी विपक्षी उम्मीदवार की जीत दर्ज नहीं हुई है। इन सभी कारणों से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार भी सत्ता पक्ष का उम्मीदवार आसानी से जीत दर्ज करेगा और रेड्डी की हार लगभग तय है।
बी. सुदर्शन रेड्डी को INDI गठबंधन ने संविधान रक्षक के रूप में पेश करने की कोशिश की है, लेकिन संख्याबल, राजनीतिक समीकरण और विवादों के चलते उनकी राह बेहद कठिन है। विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन की जीत लगभग तय है और विपक्ष की रणनीति केवल प्रतीकात्मक चुनौती साबित होगी।
यह भी पढ़ें:
“युवा नेता ने होटल बुलाया, आपत्तिजनक संदेश भेजे”: मल्याली अभिनेत्री के सनीखेज आरोप !
सीएम रेखा गुप्ता पर हमले के बाद अब मिलेगा जेड श्रेणी का सीआरपीएफ कवर!
जम्मू-पाक सीमा पर कबूतर से धमकी भरा नोट बरामद, रेलवे स्टेशन पर अलर्ट!



