रशिया-युक्रेन में चल रहे युद्ध में युक्रेन के साथी फ़्रांस को इस बार की ओलंपिक की मेजबानी का मौका मिला है। ऐसे में फ़्रांस ने युक्रेन से भिड़ रहे रशिया और उसके मित्रराष्ट्र बेलारूस को ओलंपिक खेलों का निमंत्रण नहीं भेजा है। वहीं दूसरी ओर रशिया कहना है की उनके खिलाडियों को फ़्रांस में खेलने की कोई इच्छा नहीं है, इसीलिए उन्होंने इस निमंत्रण को ठुकराया है।
यह तीसरी बार होगा जब रशिया आधिकारिक तौर पर ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं होगा। चार सालों में एक बाद ओलंपिक के खेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें दुनियाभर के देश अपने उत्कृष्ट खिलाडियों को लेकर खेलों में हिस्सा लेते है। ये वहीं मौका होता है जहां देश अपने देश की समृद्धी और शौर्य का मुजाहिरा खेलों के जरिए करते हैं। इन खेलों में देशों पर कई कारणों से प्रतिबंध लगने के प्रसंग भी आते है। ऐसे में उस देश के खिलाडी स्वतंत्र रूप से अपने खेलों में हिस्सा लेते है।
आपको बता दें, रशिया पर इससे पहले ‘एंटी डोपिंग’ अर्थात खेलों में अच्छे प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों द्वारा दवाइयों का इस्तेमाल करने के विरोध में प्रतिबंध लग चूका है। हालाँकि रूस और बेलारूस को आमंत्रित नहीं किया गया है फिर भी रूस के 36 खिलाड़ियों और बेलारूस के 18 खिलाड़ियों को व्यक्तिगत भागीदारी के लिए फ्रांस द्वारा आमंत्रित किया गया है। इनमें रूस के 15 और बेलारूस के 17 एथलीट पेरिस ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। इस भागीदारी को खिलाड़ियों की व्यक्तिगत भागीदारी माना गया है, इसी वजह से उन्हें राष्ट्रीय ध्वज ले जाने की अनुमति नहीं है। वे देश जिन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन उनके एथलीट व्यक्तिगत रूप से भाग लेते हैं उन्हें ‘Individual Nuetral Athelets’ कहा जाता है। इसलिए इस ग्रुप से रूस और बेलारूस के खिलाड़ी भी हिस्सा लेंगे।
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व्यक्तिगत निमंत्रण में भी फ़्रांस ने केवल उन खिलाड़ियों को निमंत्रण भेजा है जो युक्रेन-रशिया युद्ध का विरोध कर रहें है। जाहिर सी बात है फ़्रांस ने रशिया के सैन्य खिलाडियों को भी खेलों का निमंत्रण नहीं दिया है। इन खिलाड़ियों को रूसी ध्वज या रूस का प्रतिनिधित्व करने वाली कोई चीज़ ले जाने की अनुमति नहीं है। साथ ही वे ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के दौरान राष्ट्रों की परेड में भी हिस्सा नहीं ले सकेंगे। इसके अलावा, यदि वे पदक जीतते हैं, तो इसका श्रेय उनके व्यक्तिगत नाम पर दिया जाएगा, न कि उनके देश को। साथ ही उनके देश का झंडा कहीं भी नहीं फहराया जायेगा।
फ़्रांस ने युद्ध के लिए युक्रेन को हथियार और पैसे से भी मदद की थी और अब पेरिस ओलंपिक में खेलों का निमंत्रण भी नकारा है, ऐसे में रशिया और फ़्रांस के बीच का तनाव साफ दिखाई देता है।
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