केरल के मलप्पुरम ज़िले में चुनाव परिणामों के बाद एक स्थानीय राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता की टिप्पणी ने तीखा विवाद खड़ा कर दिया है। CPM के पूर्व स्थानीय सचिव और हाल में जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार सईदाली मजीद की महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर बवाल खड़ा हुआ है।
मलप्पुरम के थेनाला इलाके में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सईदाली मजीद ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पर निशाना साधते हुए महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के फैसले की आलोचना की। अपने भाषण में मजीद ने महिलाओं की निजी जीवन को लेकर ऐसे संदर्भ दिए, जिन पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नाराज़गी देखने को मिल रही है। मजीद ने कहा कि,”महिलाओं को घर पर रहना चाहिए; वोटों के लिए महिलाओं की परेड नहीं करवानी चाहिए… बेटे महिलाओं से शादी सिर्फ उनके साथ सोने के लिए करते हैं।” उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी के घरों में भी विवाहित महिलाएं हैं और इसी संदर्भ में विवाह की पारंपरिक प्रक्रिया का उल्लेख किया।
भाषण के दौरान सईदाली मजीद ने कहा, “चाहे आप 20, 25 या 200 महिला उम्मीदवार उतार दें, हमारे घरों में भी विवाहित महिलाएं हैं। यही कारण है कि परिवार पारंपरिक रूप से शादी तय करते समय वंश और पृष्ठभूमि की जांच करते हैं।” इसके बाद उन्होंने और अधिक विवादित टिप्पणी करते हुए कहा, “एक वार्ड जीतने या एक वोट पाने के लिए उन्हें दूसरे पुरुषों के सामने परेड नहीं कराया जाएगा।”
LDF-Backed Candidate Stokes Row
'Women must stay home; Shouldn't parade women for votes… sons marry women to sleep with them'- Saidali Majeed (Kerala CPIM Leader)@ArpithaAja10359 shares more details with @prathibhatweets. pic.twitter.com/IapY2QReOg
— TIMES NOW (@TimesNow) December 15, 2025
सबसे अधिक आलोचना उस बयान को लेकर हुई, जिसमें मजीद ने कहा, “महिलाओं को घर पर रहना चाहिए; वोटों के लिए महिलाओं की परेड नहीं करवानी चाहिए… बेटे महिलाओं से शादी सिर्फ उनके साथ सोने के लिए करते हैं।” इस कथन को महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कई संगठनों और व्यक्तियों ने इसकी निंदा की है।
ये टिप्पणियां चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद दी गईं और इसके बाद से ही सोशल मीडिया तथा राजनीतिक मंचों पर बहस तेज हो गई है। आलोचकों का कहना है कि इस तरह की भाषा न केवल महिलाओं के सार्वजनिक जीवन में भागीदारी को कमतर आंकती है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और लैंगिक समानता के भी खिलाफ है।
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