दिल्ली उच्च न्यायालय ने ठाकरे समूह की याचिका को खारिज कर एक और झटका दिया। ठाकरे समूह ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर रोक लगाने के केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही चुनाव आयोग को इस संबंध में तत्काल निर्णय लेने का आदेश दिया गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में है।
शिवसेना में विभाजन के बाद, एकनाथ शिंदे समूह और उद्धव ठाकरे समूह दोनों ने पार्टी के नाम शिवसेना और चुनाव चिन्ह धनुष और तीर का दावा किया। दोनों समूहों द्वारा प्रस्तुत लिखित बयान और सबूतों के आधार पर, केंद्रीय चुनाव आयोग ने 8 अक्टूबर को पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने का अस्थायी फैसला लिया। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने इस अंतरिम फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
मैं पार्टी प्रमुख हूं, मैंने 30 साल तक पार्टी को चलाया है। शिवसेना की पार्टी के नाम और धनुष-बाण को फ्रीज करने का केंद्रीय चुनाव आयोग का फैसला केवल प्रथम दृष्टया मुद्दों के आधार पर लिया गया है। यह आधार संतोषजनक नहीं हो सकता है। इसलिए चुनाव आयोग पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह फ्रीज नहीं कर सकता है।
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