आरबीआई ने 2000 रुपए के नोट को चलन से वापस लेने का फैसला किया है। यह फैसला 19 तारीख को लिया गया था। नोटों को बैंक में जमा कराने की समय सीमा भी 30 सितंबर तक बताई गई है। इसके बाद इस फैसले की जमकर आलोचना हो रही है| संजय राउत, अजित पवार, राज ठाकरे समेत कई राष्ट्रीय नेताओं ने भी इस फैसले की आलोचना की है| इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया गया है। अब इसको लेकर देवेंद्र फडणवीस ने एक बयान दिया है जो चर्चा में है।
क्या कहा है देवेंद्र फडणवीस ने?: 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने का फैसला किया गया है| यह नोट अवैध नहीं है। नोट को अक्टूबर तक सर्कुलेशन से वापस लिया जाना है। आप इन नोटों को अक्टूबर तक एक्सचेंज कर सकते हैं। जिनके पास कानूनी नोट हैं, जिनके पास सफेद धन है, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर किसी ने काला धन जमा किया है तो उसे बदलने में परेशानी होगी|
क्योंकि उनका कहना है कि इतने नोट कहां से आए?: दो हजार के नोट या ऐसे नोट बदलने से उन्हें सबसे बड़ा फायदा हुआ, जो पिछली बार भी नोटबंदी के बाद हुआ था| नकली नोटों को आगे बढ़ाने की आईएसआई की कोशिशों को नाकाम कर दिया गया है। इस फैसले से एक तरफ जहां नकली नोटों को बढ़ावा देने की कोशिशों पर लगाम लगेगी| जिन लोगों ने नोट जमा किए हैं, उन्हें अब ब्योरा देना होगा। देवेंद्र फडणवीस ने इस पर टिप्पणी की है।
RBI ने वास्तव में क्या निर्णय लिया है?: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार (19 मई) को 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के अपने निर्णय की घोषणा की है। 30 सितंबर 2023 तक आप बैंक से अपने 2000 के नोट बदलवा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया था। उनकी जगह 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए। 2000 का नोट नवंबर 2016 में लॉन्च किया गया था। आरबीआई के जवाब के मुताबिक, 2019 से 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी।
इस फैसले के सामने आने के बाद पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे, ठाकरे समूह के सांसद संजय राउत, राज्य के विपक्ष के नेता अजीत पवार की आलोचना की गई। लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने इस आलोचना का जवाब दिया है।
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