तमिलनाडु में मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर राजनीतिक विवाद तेज़ हो गया है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने चुनाव आयोग द्वारा जारी इस निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी का कहना है कि यह फैसला असंवैधानिक, मनमाना, और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 नवंबर) को घोषणा की कि DMK की याचिका पर 11 नवंबर को सुनवाई की जाएगी। यह मामला अदालत में DMK के वकील विवेक सिंह द्वारा तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर सूचीबद्ध किया गया। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा, “इसे मंगलवार को सूचीबद्ध कीजिए।”
DMK की यह याचिका पार्टी के संगठन सचिव आर.एस. भारती द्वारा 3 नवंबर को दायर की गई थी। याचिका में चुनाव आयोग द्वारा 27 अक्टूबर को जारी आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके तहत तमिलनाडु में मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षा शुरू की गई है। पार्टी का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और मतदान अधिकार को प्रभावित करता है।
DMK ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि SIR प्रक्रिया से अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति और राजनीतिक सहभागिता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन होता है। इसके अलावा, पार्टी का कहना है कि यह कदम जन प्रतिनिधित्व कानून और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के प्रावधानों के भी खिलाफ है।
याचिका की कानूनी तैयारी वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद एन.आर. इलंगो ने की है, जबकि इसे विवेक सिंह ने दायर किया। यह मामला ऐसे समय में आया है जब राज्य में राजनीतिक तापमान पहले से ऊँचा है और आगामी चुनावों को देखते हुए मतदाता सूची में किसी भी तरह का बदलाव राजनीतिक रूप से संवेदनशील माना जा रहा है। अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट की 11 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहाँ यह तय होगा कि चुनाव आयोग का यह कदम जारी रहेगा या उसे रोक दिया जाएगा।
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